आई.सी.टी. के लक्षण, लाभ और नुकसान | Charactristics, Advantages and Disadvantages of ICT in hindi

व्यापार के अतिरिक्त बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट, मेडिसिन, स्वास्थ्य सेवाओं, कानूनी सेवाओं इत्यादि प्रत्येक क्षेत्र में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का विशेष

सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के लाभ एवं उपयोगिता (Advantages and Utility of Information and Communication Technology)

सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। IT संगठनों को और अधिक कुशलता से काम करने तथा उत्पादकता को अधिकतम करने की अनुमति देकर व्यापारिक दुनिया को लाभ पहुँचाया है। व्यापार के अतिरिक्त बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट, मेडिसिन, स्वास्थ्य सेवाओं, कानूनी सेवाओं इत्यादि प्रत्येक क्षेत्र में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का विशेष योगदान है।

Advantages and Disadvantages of ICT

शिक्षा के क्षेत्र में ICT के उपयोग तीव्रता से सीखने एवं सिखाने की प्रक्रियाओं में सुधार किया है। ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ ICT का उपयोग न किया जाता हो। अतः सूचना एवं सम्प्रेषण के निम्नलिखित लाभ हैं-

1. सीखने के संसाधनों की विविधता का उपयोग:- ICT शिक्षण कौशल और सीखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए संसाधनों के निर्माण में बहुत मदद करता है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक की सहायता से अब श्रव्य-दृश्य माध्यम से शिक्षा प्रदान करना आसान हो गया है और विद्यार्थियो को कम्प्यूटर प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। व्यक्तिगत भिन्नताओं के आधार पर छात्रों को सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से अनुदेशन प्रदान किया जा सकता है।

2. जानकारी के लिए तात्कालिकता:- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी ने नवीनतम विधियों के द्वारा ज्ञान प्रदान करने की गति को बहुत तेज किया है, अतः कम्प्यूटर एवं नेटवर्क के माध्यम से कहीं पर किसी भी समय शिक्षण किया जा सकता है। तात्कालिक जानकारी के आधार पर आधुनिक युग में शिक्षण प्रदान करके नवयुवकों को परम्परागत तकनीकों की सहायता से आने वाले परिवर्तनों के लिए तैयार किया जा सकता है। जबकि सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का समुचित प्रयोग इस दिशा में सहायक सिद्ध हो रहा है।

3. व्यक्तिगत विकास के लिए उपयोगी:- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक के माध्यम से विद्यार्थी नवीन सूचनाओं का प्रयोग करके अपना व्यक्तिगत विकास कर सकते हैं और अपनी आवश्यकता, गति एवं रुचि के अनुसार स्व- अनुदेशन प्राप्त कर सकते हैं। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकों से विद्यार्थी मे समस्या समाधान योग्यता, निर्णय क्षमता का भी विकास होता है और विद्यार्थियों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन भी लाया जा सकता है।

4. शिक्षकों के लिए उपयोगी:- उपर्युक्त शिक्षण के लिए विभिन्न प्रकार की सूचनाएं ज्ञान और आँकड़ों की आवश्यकता होती है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षकों को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सहायता प्रदान करता है। इन्हें उचित प्रकार से प्राप्त करने में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षक की सहायता करती है। शिक्षक अपने विद्यार्थियों को ज्ञान और सूचना के स्रोतों की जानकारी देकर अपने कार्यभार को कम कर देते हैं तथा प्रकरण का अभ्यास कराने के लिए भी इनका उपयोग किया जा सकता है।

5. विद्यार्थियों के लिए उपयोगी:- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी से विद्यार्थी अपने सीमित ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं। वे न केवल सूचनाओं को इकट्ठा करके सही समय पर उसका उपयोग कर सकते हैं। अपितु विद्यार्थियों में समस्या समाधान व निर्णय क्षमता का भी विकास होता है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी विद्यार्थियों को उनको क्षमता के अनुसार सीखने के सिद्धान्त का ज्ञान कराती है। इससे विद्यार्थियों के रचनात्मक एवं सृजनात्मक चिन्तन का विकास होता है।

6. शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण एवं प्रयोग का ज्ञान:- शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण एवं प्रयोग की प्रक्रिया शिक्षकों की व्यावसायिक उन्नति का सूचक है। वर्तमान समय में प्रत्येक शिक्षक अपनी शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण की उचित विधियों एवं प्रयोग की जाने वाली सावधानियों का ज्ञान प्राप्त करता है जिससे कि शिक्षक का शिक्षण कुशल, प्रभावशाली व उपयोगी बन सके।

7. शिक्षक प्रशिक्षण में सहायक:- शिक्षकों के विकास के लिए एवं शिक्षण को कुशल एवं प्रभावपूर्ण बनाने में सूचना सम्प्रेषण बहुत सहायक है। इसके लिए शिक्षण अभ्यास प्रतिमानों की रचना, सूक्ष्म शिक्षण, अनुकरणीय शिक्षण एवं प्रणाली उपागम का उपयोग किया जाता है। शिक्षण कौशलों के विकास में भी इसका उपयोग किया जाता है।

8. शैक्षिक अनुसन्धानकर्त्ताओं के लिए उपयोगी:— सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के द्वारा प्राप्त सूचना एवं आँकड़ो से शोधकार्य आसानी से हो सकता है। शोधार्थी को अपने प्रकरण से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के शोध कम्प्यूटर व नेटवर्क के माध्यम से देखने को मिल सकते हैं जिससे उसे अपने कार्य को व्यवस्थित व क्रमबद्ध करने में आसानी हो जाती है।

9. परामर्श व मार्गदर्शन प्रदान करने वालों के लिए उपयोगी:– सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी को सहायता से रिकार्ड की हुई सामग्री के द्वारा विद्यार्थियों की रुचि व उनके मानसिक स्तर के बारे में जानकर उन्हें उचित मार्गदर्शन दिया जा सकता है। निर्देशन व परामर्श चाहे विद्यालय में हो या विभिन्न संस्थाओं में विभिन्न प्रकार की रोजगार सम्बन्धी सूचना प्रदान करने में सूचना एवं सम्प्रेषण का विशेष योगदान है।

10. शैक्षिक प्रशासन में सहायक:- विद्यालय प्रशासन को उचित प्रकार से चलाने के लिए विद्यालय सम्बन्धी सभी गतिविधियों और भौतिक संसाधनों के कार्यकलापों की जानकारी तथा उनसे सम्बन्धित आँकड़े आदि सारी सूचनाएँ हम एक स्थान पर कम्प्यूटर में संग्रह करके रख सकते हैं। इसी प्रकार विद्यालय से सम्बन्धित सभी कार्यों जैसे किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश परीक्षा निर्माण आदि के लिए सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी की सहायता ली जाती है। इसी के साथ शैक्षिक प्रशासकों के लिए पाठ्यक्रम निर्माण, विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण, मूल्यांकन विधि, रिपोर्ट, विद्यालय को दिए जाने वाले संसाधनों आदि के सम्बन्ध में निर्णय लेने में सहायक होते हैं।

11. शिक्षण तकनीकी में विकास:- शिक्षक द्वारा सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से शिक्षण की प्रक्रिया को प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है। शिक्षक द्वारा विभिन्न संचार माध्यमों से शिक्षण प्रक्रिया में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न उपकरणों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, जैसे-कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन (CAT) ओवरहेड प्रोजेक्टर (OHP) तथा इन्टरनेट आदि इनके ज्ञान से शिक्षक ट्रान्सपेरेन्सी बनाकर अथवा (PPT) पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन से अपने शिक्षण को प्रभावशाली बना सकता है।

12. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के स्वरूप में परिवर्तन:- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी द्वारा प्रदत्त सक्रिय वातावरण के द्वारा वर्तमान समय में शिक्षक केवल ज्ञान ही प्रदान नहीं करता अपितु एक पथ प्रदर्शक व मार्गदर्शक की भूमिका भी अदा करता है और शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में भी सहायता करता है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी ने एक नया आयाम प्रदान किया है। शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में इसका अपूर्व योगदान है। आज सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी द्वारा ही सम्पूर्ण कार्य शैली एवं संगठन में अभूतपूर्व विकास हुआ है। इसी सन्दर्भ में श्रीमती आर०के० शर्मा ने लिखा है कि "विद्यालय व्यवस्था में शैक्षिक संगठन का छात्र के सर्वागीण विकास में महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध होता है जो कि सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से सरलतापूर्वक विकसित किया जा सकता है जिसके माध्यम से शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्ति सरलता से हो जाती है। छात्र के सर्वांगीण विकास में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती जिसका श्रेय सम्प्रेषण के साधनों को जाता है। यदि सम्प्रेषण का अभाव है तो शिक्षा के सामान्य उद्देश्य भी प्राप्त नहीं हो सकेंगे।"

सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के उद्देश्य (Objectives of Information and Communication Technology)

  1. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का मुख्य उद्देश्य है, शिक्षा के विकास एवं प्रचार-प्रसार करना।
  2. शिक्षा एवं अनुसन्धान से सम्बंधित सामग्रियों का आधिकाधिक संचार करना और समाज के प्रत्येक नागरिकों तक पहुँचाना।
  3. वर्त्तमान पीढी को साइबर एजुकेशन ऐज में प्रतिस्थापित करना, जिसके जरिये छात्र ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सकें।
  4. इसरो, एनसीईआरटी तथा इग्नू (IGNOU) जैसी राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थाओं का जनसंचार करना।
  5. डिजिटल पुस्तकालयों की स्थपाना करना।
  6. विद्यार्थी सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के महत्त्व और आवश्यकता के बारे में जान सकेंगे।
  7. राष्ट्र के आर्थिक विकास में सहायता प्रदान करना।
  8. ई-कॉमर्स, Email, ई-इंक, एटीएम तथा क्रेडिट कार्ड आदि को अधिकाधिक प्रचलित करना।
  9. स्कैनिंग, CT-Scanning, अल्ट्रासाउंड आदि उपयोगी उपकरणों का निर्माण और उपयोग करके, स्वास्थ्य संसाधनों का विकास करना।

सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी की विशेषताएं (Characteristics of ICT)

सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी की निम्न विशेषताएं हैं-

  1. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का उद्देश्य शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का विकास करना है।
  2. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षा से विज्ञान एवं तकनीकी का अनुप्रयोग है।
  3. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, भाषा, भौतिक विज्ञान इत्यादि का उपयोग करती है।
  4. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी को शैक्षिक साधनों (रेडियो, टेपरिकार्डर, दूरदर्शन) के साथ मिलाया नहीं जा सकता। यह तो एक अभिगमन है।
  5. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी में विज्ञान के व्यावहारिक पक्ष पर बल दिया जाता है।
  6. यह निरन्तर प्रयोगात्मक एवं विकासशील विषय है।
  7. यह वातावरण संसाधनों, विधियों के नियन्त्रण द्वारा अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाती है।
  8. शिक्षा के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये अधिगम दशाओं का संगठन शामिल होता है।
  9. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का सम्बन्ध शिक्षा की समस्याओं उनके विश्लेषण, निराकरण से होता है।
  10. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षण को सरल, स्पष्ट, रुचिकर, बोधगम्य एवं प्रभावशाली बनाती हैं।
  11. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षण की विभिन्न विधियों प्रविधियों युक्तियों का विकास पर शिक्षा को छात्र केन्द्रित बनाने में योगदान देती है।
  12. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के द्वारा शिक्षा के तीनों प्रकार के उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव हो पाती है।

सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक की सीमाएँ/दोष (Limitations of Information and Communication Technology)

सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक के उपयोग की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी ज्ञान हर क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है जिसके कारण अनेक छात्र इससे वंचित रह जाते हैं।
  2. ICT के प्रयोग के कारण शिक्षक का महत्त्व कम हो रहा है। शिक्षक छात्र के भावात्मक सम्बन्ध समाप्त हो रहे है।
  3. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी छात्रों की सामाजिक एवं भावात्मक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती।
  4. केवल कुछ ही शिक्षकों को अपने अध्यापन में आई०सी०टी के उपयोग में व्यापक विशेषज्ञता होती है। इसी कारण से ICT का प्रयोग कम किया जाता है।
  5. विद्यालय में समुचित सुविधाओं के अभाव के कारण सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का प्रयोग प्रभावशाली ढंग से नहीं हो पाता है।
  6. शिक्षण प्रक्रिया में संस्थाओं द्वारा ICT के प्रयोग से सम्बन्धित ज्ञान, कौशल, अभिवृत्ति, रूचि एवं सुविधाओं का विकास ना किये जाने के कारण भी सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी की प्रभावशीलता में अवरोध पैदा हो जाते हैं।

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