मास मीडिया के प्रयोग में शिक्षक की भूमिका | Role of Teacher in Using Mass Media in hindi

जीवन के बढ़ते क्रम में, विभिन्न क्षेत्रों में संचार साधनों के निरन्तर बढ़ते जा रहे व्यापक उपयोगों ने जहाँ एक ओर इनकी उपयोगिता दर्शायी है, वहीं दूसरी

संचार साधनों के प्रयोग में शिक्षक की भूमिका (Role of Teacher in Using Mass Media)

अध्यापक को शिक्षा के लिए संचार साधनों के उचित और प्रभावशाली प्रयोग के लिए सर्वोच्च महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इस विषय में निम्नलिखित मुख्य बिन्दु हैं-

1. क्रियाशील:- अध्यापक को शिक्षा के लिए जो साधन उपलब्ध हैं उसे उन विस्तृत जनसंचार साधनों के प्रति क्रियाशील, उत्साही और सावधान होना चाहिए।

2. उपयुक्त चुनाव:- कक्षा की विभिन्न परिस्थितियों में जनसंचारण साधनों का प्रयोग करने के लिए अध्यापक को उचित और योग्य चुनाव करना चाहिए। उसे आशावादी और रचनात्मक रास्ता अपनाना चाहिए।

3. शैक्षिक उद्देश्य:- अध्यापक का जनसंचार साधनों का चुनाव शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होना चाहिए।

Mass Media

4. प्रयोग के लिए तैयारी:- कक्षा अध्यापक को छात्रों को तैयारी की स्थिति से सावधान करना चाहिए। उसे पाठ की आवश्यक पृष्ठभूमि प्रदान करनी चाहिए, टेली-पाठ, प्रसारित पाठ और शैक्षिक फिल्म के विषय में उचित निर्देश देने चाहिए। उसे उन्हें यह बताकर प्रेरित करना चाहिए कि वे किस प्रकार प्रसारण टेली-पाठ या शैक्षिक फिल्म से लाभान्वित होंगे। इस प्रकार करने में रुचि को प्रोत्साहित करना चाहिए।

5. वास्तविक प्रयोग:- अध्यापक को कक्षा में उचित भौतिक परिस्थितियाँ प्रदान करके जनसंचार साधन के वास्तविक प्रयोग को सरल बनाना चाहिए। अध्यापक को निश्चित करना चाहिए कि रेडियो, टेलीविजन और दूसरी चीजें ठोक अवस्था में है।

6. उचित वाद-विवाद और अनुवर्ती कार्य:- पाठ पढ़ने के पश्चात् विषय पर चर्चा करनी चाहिए। अध्यापक सरल बिन्दुओं को सुदृढ़ करे, संशयों का निराकरण, पाठ को सफलता का मूल्यांकन और पाठ की परिपक्वता को निश्चित करने का प्रारूप तैयार करें। वह छात्रों को पाठ पर टिप्पणी लिखने के लिए और भावी पाठ और उसमें दी योजना के विषय में कह सकता है। छात्रों की प्रस्तुति और पाठ को समझने की क्षमता के लिए एक छोटी वस्तुपरक परीक्षा ली जा सकती है। इस प्रकार अध्यापक एक गाइड, मूल्यांकनकर्ता की वास्तविक भूमिका निभा सकता है।

7. समाचार-पत्रों का प्रभावपूर्ण प्रयोग:- विद्यालय में समाचार पत्रों का प्रभावशाली उपयोग अध्यापक की बुद्धिमत्ता पर निर्भर करता है। वह कक्षा में, (i) दैनिक महत्त्वपूर्ण समाचारों पर वाद-विवाद करवाकर, (ii) रोचक समाचार सूचना-पत्र में देकर, (iii) समाचारों, चित्रों या कहानियों की स्क्रैपबुक तैयार करके, (iv) समाचारों को दर्शाने के लिए कार्टून बनाकर, (v) घटनाओं को नाटक रूप देकर और पहली प्रतियोगिता करके लाभदायक भूमिका निभा सकता है।

8. पाठन क्लबों को आयोजन:- विद्यालयों में क्रियात्मक पाठ्यक्रमों के रूप में विद्यालय में पाठन क्लबों का आयोजन करके अध्यापक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वह पुस्तकों और पत्रिकाओं को पढ़ने का परामर्श भी दे सकता है।

9. पुस्तकालय में वृद्धि:- विभिन्न स्रोतों से सूचनाएं प्राप्त करके विद्यालय के पुस्तकालय और श्रव्य दृश्य फिल्मों में आधुनिकता लाने के लिए अध्यापक महत्त्वपूर्ण सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।

10. प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की पहचान:- अध्यापक प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की जो रेडियो और टेलीविजन कार्यक्रमों में विद्यालय का प्रतिनिधित्व कर सके, पहचान और अनुभव करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है तथा इस विषय में मार्गदर्शन कर सकता है।

जीवन के बढ़ते क्रम में, विभिन्न क्षेत्रों में संचार साधनों के निरन्तर बढ़ते जा रहे व्यापक उपयोगों ने जहाँ एक ओर इनकी उपयोगिता दर्शायी है, वहीं दूसरी ओर इसके भयावह परिणामों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। संसार की चकाचौंध, फिल्मों का क्रेज, आरामदायक जीवन की चाह ने हमारे आधुनिक जीवन को जहां एक और सरल, आरामदायक बनाया है, वहीं दूसरी तरफ यह आराम ही हमारी मुश्किले बढ़ा रहा है।

वस्तुतः किसी विषय-वस्तु के प्रसार-प्रचार अथवा आधुनिकतम जीवन को सरलतम बनाने में प्रयोग किए गए उपकरण अथवा अन्य साधन, संचार के साधन कहलाते हैं। वर्तमान में मानवीय जीवन को सरल व आकर्षक बनाने वाले मनोरंजन की सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण संचार के साधनों का प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है। वर्तमान जीवन को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि यदि हमें इन साधनों से दूर कर दिया जाए, हमारा जीवन निश्चित ही कठिनाइयों से भरा, निरर्थक साबित होगा और शायद एक भी कार्य हम इन साधनों के बिना पूर्ण नहीं कर पाएंगे।

सामान्यतः संचार के जिन साधनों का प्रयोग शिक्षक प्रमुख रूप से विद्यार्थियों के निहितार्थ करता है, वे इस प्रकार हैं-

1. टेलीविजन (Television)

टी०वी० संचार का ऐसा साधन है, जिसके माध्यम से हम घर बैठे, बहुत कम समय में बिना किसी अतिरिक्त चार्ज से देश-विदेश की ताजा खबरें, मनोरंजन के लिए टी०वी० सीरियल, फिल्म, अन्य मनोरंजक कार्य, क्रिकेट, खेल आदि का आसानी से आनन्द ले सकते हैं। आजकल तो टी०वी० पर आने वाले कार्यक्रमों से कुकिंग, डॉसिंग, इंग्लिश स्पीकिंग, कढ़ाई-बुनाई, जनरल अवेयरनेस आदि सीख सकते हैं। इतनी सुविधाओं से परिपूर्ण होने के कारण टी०वी० का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए भारत जैसे विकासशील देश में गरीबी होने के बावजूद लोग टी०वी० का लाभ उठाते हैं।

2. रेडियो (Radio)

टी०वी० के बढ़ते प्रयोग से भले ही रेडियो के प्रयोग में कमी आयी है, लेकिन फिर भी रेडियो का प्रयोग भारत में अच्छे पैमाने पर किया जाता है। रेडियो संचार का एक श्रव्य साधन है, जिसका प्रयोग उस पर आने वाले कार्यक्रमों को सुनने में किया जाता है। वर्तमान में रेडियो का एक नया परिवर्तित रूप एफ०एम० के नाम से जाना जाता है। लगभग सभी कम्पनी के मोबाइल फोन में एफ०एम० का प्रयोग किया जाता हैं, जिसके माध्यम से ट्रेवलिंग के दौरान अथवा अन्य स्थान पर समाचार सुनने, गाने सुनने, क्रिकेट कमेण्टरी आदि के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

3. न्यूज पेपर (News Paper)

न्यूज पेपर जिसे हिन्दी में समाचार-पत्र के नाम से जाना जाता है, का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। लगभग 15/16 पृष्ठ का बना यह पेपर देश दुनिया की ताजा खबर के साथ प्रतिदिन सुबह हमारे घर में प्रविष्ट होता है। भारत में हिन्दुस्तान टाइम्स, दैनिक जागरण, अमर उजाला, पंजाब केसरी, आज, सहारा, टाइम्स ऑफ इण्डिया आदि समाचार-पत्रों का प्रकाशन किया जाता है जिनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

4. पत्र-पत्रिकाएँ (Magazines)

समाचार-पत्र के साथ-साथ संचार के साधन के रूप में पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया जाता है। इनके माध्यम से हम किसी विषय पर अपने स्वतंत्र विचार समाज के समक्ष रख सकते हैं। इनके अतिरिक्त कढ़ाई-बुनाई, सिलाई आदि भी सीख सकते हैं। ये पत्र-पत्रिकाएँ हिन्दी-अंग्रेजी दोनों भाषाओं में मिलती है।

5. मोबाइल फोन (Mobile Phone)

एक छोटे-से बॉक्स में ऐसा प्रतीत होता है कि हमारी सारी दुनिया इसी में है। आज के युवा मोबाइल के बिना असहाय प्रतीत होने लगते हैं। यह मोबाइल फोन आज के युवाओं का दूसरा महत्त्वपूर्ण जीवनसाथी बनता जा रहा है। मोबाइल फोन के बिना आज जिन्दगी अधूरी सी प्रतीत होती है।

6. इण्टरनेट (Internet)

कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रयोग ने मानव जीवन में एक नई जान डाली है। इण्टरनेट के माध्यम से घर बैठे विदेशों में रह रहे लोगों से बात करना, टिकट बुकिंग, किसी स्थान विशेष की स्थिति यहाँ तक कि देवी-देवताओं के दर्शन भी आसानी से किये जा सकते हैं । इन्टरसेट ने हमें सम्पूर्ण दुनिया से जोड़ दिया है।

7. रोबोट- इलेक्ट्रिक मानव (Robot)

विज्ञान की प्रगति ने मानव को इतनी ऊँचाईयों पर पहुँचा दिया है कि वैज्ञानिक आविष्कार के द्वारा मानव का भी आविष्कार किया जा चुका है जो बिना थके, बिना रुके, मात्र हमारे इशारे पर कार्य कर सकता है। जी हाँ! हम बात कर रहे हैं रोबोट की। यह मानव आकृति के लिए एक विद्युत चालक आविष्कार है। संचार का ऐसा साधन, जिसके द्वारा मात्र एक इशारे पर हम अपना कठिन से कठिन कार्य मिनटों में सम्पन्न कर सकते हैं। विदेशों के विभिन्न रेस्तरां में वेटर की जगह रोबोट का प्रयोग किया जाता है।

8. आधुनिक जीवन शैली (Modern Life-style)

संचार के साधनों ने जिस तरह मानव को चारों ओर से घेर लिया है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि इनके बिना सरल जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।

प्राचीनकाल की ओर देखने पर पता लगता है कि मानव जीवन कितना मुश्किल था, लेकिन आज जिस तरह इन साधनों ने मानव जीवन को सरल बनाया है, उससे इन साधनों के बिना तो मानवीय जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। यातायात के साधनों के द्वारा विदेश यात्रा भी आसान है। विभिन्न मशीनों—वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, फैन आदि ने मानव जीवन को सुलभ बना दिया है।

टेलीविजन, मोबाइल के आविष्कार और संचार के बाद पूरी दुनिया मुट्ठी में समाती नजर आने लगी है। आज अपनों से दूर होने का एहसास ही नहीं होता। बस बटन दबाते ही पल भर में अपनों से बात की जा सकती है। वीडियो कॉलिंग के द्वारा फेस-टू-फेस अपनों से बात की जा सकती है।

9. अन्य गतिविधियों में सहायक (Helpful in Other Activities)

इण्टरनेट के माध्यम से नौकरी पाना, शादी विवाह, टिकट बुकिंग, विदेशी यात्रा, वीजा, पासपोर्ट, यहाँ तक की शिक्षा व्यवस्था भी इण्टरनेट के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। आज जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जो संचार माध्यमों पर निर्भर न हो।

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