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महाप्रस्थान एक दिन धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर को अपने पास बुलाया और कहा– “प्रिय कुंती पुत्र! मैं वृद्ध हो चला हूं। अब मेरे मन में इन राजकीय सुखों को भ…
राज्याभिषेक और श्रीकृष्ण की विदाई युद्ध में वीरगति पाए सभी लोगों का विधिवत् तर्पण करने के उपरांत बड़ी धूमधाम से हस्तिनापुर में युधिष्ठिर का राज्याभ…
पितामह भीष्म का देह त्याग भीष्म जब महाभारत युद्ध के 10वें दिन घायल होकर गिर पड़े तो उस समय सूर्य दक्षिणायन था, इसलिए वे परलोक नहीं जाना चाहते थे। …
अंतिम संस्कार महाराज धृतराष्ट्र के दुख की सीमा अनंत थी। उनके सौ-के-सौ पुत्र इस महायुद्ध में मारे गए थे। महात्मा विदुर ने धृतराष्ट्र को सांत्वना देन…
दुर्योधन का अंत और अश्वत्थामा का प्रतिकार जब दुर्योधन को कर्ण की और दुःशासन की मृत्यु का समाचार मिला तो उसके शोक की सीमा न रही। उसके शोक को देखकर क…
कर्ण और दुःशासन का अंत द्रोण के मारे जाने पर युद्ध के पंद्रहवें दिन दुर्योधन ने कर्ण को कौरव सेना का सेनानायक बनाया। मद्रराज शल्य ने कर्ण का सार…
आचार्य द्रोण और घटोत्कच का अंत महाभारत की कथा में दो ही बालक ऐसे हुए जो वीरता, धीरता, साहस, शक्ति, बल, शील, और यश आदि गुणों से युक्त थे। एक अर्जुन …
जयद्रथ वध जयद्रथ सिंधु देश के राजा वृद्धक्षत्र का पुत्र था। उसके जन्म पर भविष्यवाणी हुई थी कि यह बालक बड़ा वीर और यशस्वी होगा। इसकी मृत्यु एक श्रे…
अभिमन्यु का वध चक्रव्यूह की रचना करके द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर पर धावा बोल दिया। सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु अभी किशोर वय का वीर लड़का था। अपनी वीरत…
भीष्म मृत्यु-शय्या पर दसवें दिन पाण्डवों ने शिखण्डी को आगे करके युद्ध किया। अर्जुन उसके पीछे-पीछे था। शिखण्डी की आड़ लेकर अर्जुन ने भीष्म पितामह प…
महाभारत युद्ध महाभारत का युद्ध केवल अट्ठारह दिन ही चला था, किंतु इस युद्ध में भयानक विनाश हुआ था। दोनों ओर की सेनाओं ने तुमुल शंखनाद किया और युद्ध…
गीता का उपदेश महाभारत के युद्ध में, पाण्डवों और कौरवों की सेनाएं कुरुक्षेत्र के मैदान में आमने-सामने खड़ी थीं। उस समय की युद्ध नीति आज की तरह नहीं …
दानवीर कर्ण श्रीकृष्ण ने हस्तिनापुर से लौटकर पाण्डवों को वहां हुई चर्चा का पूरा हाल सुनाया। सभी ने अच्छी तरह समझ लिया कि अब शांति की आशा नहीं रही।…
कर्ण के प्रति कुंती की ममता श्रीकृष्ण के हस्तिनापुर से लौटते ही शांति की जो थोड़ी बहुत आशा थी, वह भी समाप्त हो गई। युद्ध की आशंका से कुंती का मन भ…
मंत्रणा और शांतिदूत श्रीकृष्ण तेरहवां वर्ष पूरा होने पर पाण्डव विराट की राजधानी छोड़कर एक अन्य नगर उपलव्य में रहने लगे। उपलव्य नगर विराट राज्य में …
पाण्डवों का अज्ञातवास और कीचक-वध गहन वन में पहुंचकर पाण्डव आगे के कार्यक्रम पर विचार करने लगे। सभी ने तय किया कि मत्स्य देश में राजा विराट के विराट…