Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS) के कार्य एवं उद्देश्य

केन्द्रीय विद्यालय वे विद्यालय होते हैं, जिनका संगठन व संचालन केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है अर्थात् इन विद्यालयों की प्रत्येक व्यवस्था केन्द्र

केन्द्रीय विद्यालय संगठन का परिचय (Introduction to Kendriya Vidyalaya Sangathan)

केन्द्रीय विद्यालय वे विद्यालय होते हैं, जिनका संगठन व संचालन केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है अर्थात् इन विद्यालयों की प्रत्येक व्यवस्था केन्द्र सरकार द्वारा ही की जाती है। इन विद्यालयों में विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके साथ ही साथ इन विद्यालयों में विद्यार्थियों को आवास व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाती है। इसका रूप नवोदय विद्यालय के रूप में देखने को मिलता है। इन विद्यालयों की संख्या राजकीय विद्यालयों की अपेक्षा काफी कम होती है। इन विद्यालयों के विद्यार्थियों को देश के प्रत्येक स्थान पर शिक्षा प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं होती है।

Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS) के कार्य एवं उद्देश्य

केन्द्रीय विद्यालय संगठन भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के अन्तर्गत एक स्वायत्तशायी संगठन है। हमारे देश में स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को समान स्तर, समान पाठ्यक्रम एवं समान माध्यम की शिक्षा उपलब्ध कराने का कार्य सर्वप्रथम केन्द्र सरकार के रक्षा विभाग ने किया। उसने रक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों के लिए मिलिट्री मुख्यालयों पर 'रेजीमेन्ट स्कूलों' की स्थापना की।

1965 में केन्द्रीय सरकार ने स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत समस्त केन्द्रीय कर्मचारियों के बच्चों के लिए इस प्रकार के विद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया। उसने सर्वप्रथम तत्कालीन 20 'रेजीमेन्ट स्कूलों' को शिक्षा विभाग के अन्तर्गत लिया, उन्हें सेन्ट्रल स्कूल (Central school) का नाम दिया और उन्हें केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से सम्बद्ध किया और उनमें स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत समस्त केन्द्रीय कर्मचारियों के बच्चों को प्रवेश की अनुमति प्रदान की। इनकी सम्पूर्ण व्यवस्था के लिए सरकार ने 'केन्द्रीय विद्यालय संगठन' (Kandriya Vidyalaya Sangthan) का गठन किया। इस संगठन का मुख्य कार्यालय दिल्ली में है।

केन्द्रीय विद्यालय संगठन की संगठनात्मक संरचना (Organizational Structure of Kendriya Vidyalaya Sangathan)

केन्द्रीय विद्यालय संगठन का प्रशासनतन्त्र तीन स्तरों में विभाजित हैं— केन्द्रीय स्तर, क्षेत्रीय स्तर और स्थानीय स्तर। केन्द्रीय स्तर, मुख्य कार्यालय में निम्नांकित दो निकाय है— सामान्यत निकाय और प्रशासनिक निकाय

1. सामान्य निकाय:- केन्द्र के मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के मन्त्री इसके चेयरमेन होते हैं, उसके राज्य मन्त्री डिप्टी चेयरमेन होते हैं। और उसके एक वरिष्ठ अधिकारी वाइस चेयरमेन होते हैं। वाइस चेयरमेन का मनोनयन भारत सरकार करती है। इसके सदस्यों में केन्द्र के रक्षा, वित्त, निर्माण एवं स्वास्थ विभाग के प्रतिनिधि, लोकसभा के प्रतिनिधि एवं केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद व राज्य सरकारों के प्रतिनिधि और जाने माने शिक्षाविद होते हैं। इन सदस्यों में महिला सदस्य एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति सदस्य होने आवश्यक होते हैं।

2. प्रशासनिक निकाय:- प्रशासनिक निकाय में एक कमिश्नर, दो जॉइन्ट कमिश्नर, पाँच डिप्टी कमिश्नर और तीन असिसटेन्ट कमिश्नर होते हैं। इसके प्रशासनिक कार्यों के सम्पादन के लिए निम्नांकित तीन समितियाँ है—

  • (i) वित्त समिति:– यह वार्षिक बजट, वित्त लेखा और वित्त लेखा निरीक्षण के लिए उत्तरदायी है।
  • (ii) निर्माण समिति:— यह केन्द्रीय विद्यालयों के भवन निर्माण कार्य के लिए उत्तरदायी है।
  • (iii) अकादमिक सलाहकार समिति:- यह केन्द्रीय विद्यालयों की शैक्षिक एवं सहशैक्षिक क्रियाओं के लिए उत्तरदायी है।

क्षेत्रीय स्तर पर इसके 26 क्षेत्रीय कार्यालय है। प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय में एक अस्सिटेन्ट कमिश्नर है जो क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य अधिकारी के रूप में कार्य करता है। इसकी सहायता के लिए तीन एजूकेशन ऑफीसर और सपोटिंग स्टाफ है। इन क्षेत्रीय कार्यालयों पर अपने-अपने कार्यक्षेत्र के केन्द्रीय विद्यालयों के नियन्त्रण का उत्तरदायित्व है। इन्हीं के सहयोग से केन्द्रीय कार्यालय अपने उत्तरदायित्वों को पूरा करता है और इन्हीं के सहयोग से केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) केन्द्रीय विद्यालयों की कक्षा 10 व कक्षा 12 के बच्चों की परीक्षा का सम्पादन करता है।

स्थानीय स्तर पर प्रत्येक केन्द्रीय विद्यालय की एक विद्यालय प्रबन्ध समिति है। स्थानीय जिलाधिकारी इस समिति का पदेन अध्यक्ष होता है। सदस्यों में विद्यालय का प्रधानाचार्य, शिक्षक प्रतिनिधि और स्थानीय शिक्षाविद होते हैं। यह समिति विद्यालय के आन्तरिक मामलों के लिए उत्तरदायी होती हैं।

केन्द्रीय विद्यालय संगठन के उद्देश्य (Objectives of Kendriya Vidyalaya Sangathan)

केन्द्रीय विद्यालय संगठन की योजना वर्ष 1963-64 में आरम्भ हुई थी जिसका मुख्य उद्देश्य प्रतिरक्षा कर्मियों के बच्चों की शिक्षा की सुविधाएँ पहुंचाना था। अन्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना उन क्षेत्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं को देखने के लिए हुआ, जिन्हें अपने माता-पिता के स्थानान्तरण के कारण दूसरे राज्य में जाना पड़ता था। यह शिक्षा के स्तर को विशेष रूप से माध्यमिक शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने, पाठ्यक्रम, पाठ्य पुस्तकों, शिक्षण विधि और मूल्यांकन के सुधार में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। केन्द्रीय विद्यालय संगठन उद्देश्य निम्न हैं-

  1. केन्द्रीय विद्यालयों में माध्यमिक स्तर पर समान पाठ्यक्रम लागू करना।
  2. माध्यमिक शिक्षा के स्तर को उन्नतिशील बनाना।
  3. प्रतिरक्षा कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा की सुविधाएं उपलब्ध कराना।
  4. केन्द्रीय विद्यालयों में नवाचरों को प्रोत्साहित करना है।
  5. राष्ट्रीय एकता का विकास करना है।
  6. उत्तम प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था कर बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है।
  7. केन्द्र सरकार में स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत समस्त कर्मचारियों के बच्चों को देश के किसी भी भाग में समान पाठ्यक्रम एवं समान माध्यम की माध्यमिक शिक्षा सुलभ कराना है।
  8. केन्द्रीय विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालयों के रूप में विकसित करना है।

केन्द्रीय विद्यालय संगठन के कार्य (Functions of Kendriya Vidyalaya Sangathan)

केन्द्रीय विद्यालय संगठन के कार्य निम्न हैं-

  1. सेना मुख्यालयों एवं जनपद मुख्यालयों पर नए केन्द्रीय विद्यालयों की स्थापना करना।
  2. केन्द्रीय विद्यालयों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
  3. वार्षिक बजट बनाना और भिन्न-भिन्न मदों के लिए धनराशि निश्चित करना।
  4. केन्द्रीय विद्यालयों के उपप्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों की पदोन्नति करना
  5. केन्द्रीय विद्यालयों के लिए प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों का चयन करना
  6. समय-समय पर आवश्यकतानुसार नीति निर्धारण करना।
  7. केन्द्रीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं की वार्षिक परीक्षा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा सम्पन्न कराना।
  8. केन्द्रीय विद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों का स्थानान्तरण करना
  9. केन्द्रीय विद्यालयों के प्रशासनिक, शैक्षिक एवं सहशैक्षिक क्रियाकलापों पर नियन्त्रण रखना।

विशेष कार्य (Special Function)

1. यह संगठन मासिक:– केन्द्रीय विद्यालय संगठन समाचार, त्रैमासिक—संगठन, अर्द्धवार्षिक भाष्कर एवं वार्षिक-काव्य मंजूरी का प्रकाशन करता है। काव्य मंजरी में केन्द्रीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की कविताओं का प्रकाशन होता है। इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस पर स्मारिका का प्रकाशन करता है।

2. यह संगठन प्रतिवर्ष 50 श्रेष्ठ शिक्षकों को 5000 रु० प्रति शिक्षक, 4 श्रेष्ठ शिक्षकों को मानव संसाधन विकास मन्त्रालय का राष्ट्रीय पुरस्कार और 20 श्रेष्ठ शिक्षकों को डी०सी० शर्मा पुरस्कार प्रदान करता है।

3. यह संगठन अति उत्तम कार्य करने वाले शिक्षकों को विदेशों में स्थिति नवोदय विद्यालयों में कार्य करने का अवसर प्रदान करता है।

केन्द्रीय विद्यालयों की आवश्यकता (Need for Kendriya Vidyalayas)

केन्द्रीय विद्यालयों का संगठन व संचालन केन्द्र सरकार के हाथ में होता है। इन विद्यालयों में विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है और आवास व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाती है।

भारत एक विकासशील देश है और इसकी गणना निर्धन राष्ट्रों में की जाती है। यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा निर्धनता अधिक देखने को मिलती है, जिसके कारण माता-पिता अपने बच्चों को उचित शिक्षा नहीं दिला पाते हैं। कुछ बच्चे तो गरीबी और भुखमरी के कारण बचपन से ही काम करने लगते हैं। वर्तमान समय में व्यक्तिगत विद्यालयों में शिक्षा शुल्क बहुत अधिक है। निर्धन व्यक्तियों के बस की बात नहीं है कि वे इसे अदा करके अपने बच्चों को पढ़ा पाएँ। केन्द्रीय विद्यालय ही ऐसे विद्यालय हैं, जो सभी बच्चों को समान रूप से निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं। अत: इन विद्यालयों की तीव्र आवश्यकता है। हमें ये विद्यालय नवोदय विद्यालय के रूप में देखने को मिल रहे है। इन विद्यालयों की संख्या राजकीय विद्यालयों से काफी कम है।

केन्द्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय में अन्तर (Difference between KVS and NVS)

S.No. केन्द्रीय विद्यालय नवोदय विद्यालय
1. केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना योजना वर्ष 1963-64 में हुई। नवोदय विद्यालय की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अन्तर्गत हुई।
2. केन्द्रीय विद्यालय संगठन भारत सरकार के योजनेत्तर कोषो से पूर्णत: वित्त पोषित है। नवोदय विद्यालय पूर्णत: वित्त पोषित नहीं है।
3. केन्द्रीय विद्यालयों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य प्रतिरक्षा कर्मियों के बच्चों को शिक्षा पहुँचाना था। नवोदय विद्यालयों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य देश में शैक्षिक अवसरों की समानता के सिद्धान्त को व्यावहारिक रूप प्रदान करना था।
4. इन विद्यालयों का संचालन केन्द्रीय विद्यालय संगठन समिति द्वारा किया जाता है। इनका संचालन 'नवोदय विद्यालय समिति' द्वारा किया जाता है।
5. वर्तमान समय में केन्द्रीय विद्यालयों की संख्या 819 है जिनमे लगभग 600500 छात्र अध्ययन कर रहे हैं। नवोदय विद्यालयों की अधिकतम संख्या देशभर में 450 निर्धारित की गई है और प्रत्येक विद्यालय में 560 छात्रों को प्रवेश देने का लक्ष्य रखा गया है।

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