स्मृति स्तर का शिक्षण अर्थ एवं परिभाषाएँ | Memory Level of Teaching in hindi

शिक्षण-अधिगम के स्मृति स्तर को ऐसा शिक्षण-अधिगम कार्य कहा जा सकता है जिसमें वास्तविक तथ्यों को कण्ठस्थ करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं होता।

स्मृति स्तर का शिक्षण (Memory Level of Tenching)

स्मृति स्तर के शिक्षण-अधिगम के प्रवर्तक हरबर्ट माने जाते हैं। शिक्षण अधिगम के स्मृति स्तर पर यथार्थ सामग्री को केवल कंठस्थ किया जाता है। शिक्षण-अधिगम के स्मृति स्तर पर स्मृति को बोलबाला रहता है। इस स्तर में विद्यार्थी अर्थ एवं उनके प्रयोगों की चिन्ता किये बिना तथ्यपूर्ण सूचनाओं को केवल याद करता है। इसमें ज्ञानात्मक योग्यताओं का केवल सीमित प्रयोग किया जाता है। यह प्रयोग केवल स्मृति तक ही सीमित होता है।

Memory Level of Teaching in hindi

मॉरिस एल. बिग्गी के कथनानुसार, "शिक्षण-अधिगम के स्मृति स्तर को ऐसा शिक्षण-अधिगम कार्य कहा जा सकता है जिसमें वास्तविक तथ्यों को कण्ठस्थ करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं होता।"

शिक्षण-अधिगम के स्मृति स्तर पर शिक्षण कौशल इस बात पर निर्भर होता है कि विद्यार्थियों के सामने तथ्यों को इस प्रकार रखा जाये कि वे उन्हें सुगमतापूर्वक याद कर सकें, अधिक समय तक उन्हें स्मरण रख सके और समय पर उन्हें पुनः प्रस्तुत कर सकें, अर्थात् उनका प्रत्यास्मरण कर सकें। इस स्तर पर शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों का न्यूनतम विचारपूर्ण व्यवहार निहित होता है। इसे बौद्धिक योग्यताओं के प्रयोग का निम्नतम रूप समझा जाता है। शिक्षण अधिगम के स्मृति स्तर पर चिन्तन, तर्क, निरीक्षण, विभेदीकरण, विश्लेषण, आलोचनात्मक मूल्यांकन आदि जैसी बौद्धिक शक्तियों का प्रयोग नहीं किया जाता।

स्मृति स्तर के शिक्षण का प्रतिमान (Model of Memory Level of Teaching)

(1) उद्देश्य (Focus):– हरबाट महोदय के अनुसार स्मृति के शिक्षण का उद्देश्य शिक्षार्थी को तथ्यों के रटने पर बल देते हुये उनमें निम्नलिखित क्षमताओं को विकसित करना है–

  • (i) मानसिक पक्षों का प्रशिक्षण।
  • (ii) तथ्यों का ज्ञान देना।
  • (iii) सीखे हुए तथ्यों को याद रखना।
  • (iv) याद किये हुये तथ्यों को प्रत्यास्मरण (Recall) तथा पुनः प्रस्तुत करना।

(2) संरचना (Syntax):- हरबार्ट महोदय ने स्मृति स्तर के शिक्षण को व्यवस्था को पाँच पदों में बाँटा जो हरबार्ट पंचपद प्रणाली (Five Formal Steps) के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन पाँचों पदों का अनुसरण करते हुये शिक्षक स्मृति स्तर के लिये शिक्षण तथा अधिगम की परिस्थितियां उत्पन्न कर सकता है। हरबार्ट महोदय के पाँचो पदों का क्रम निम्नलिखित हैं-

  • (i) (a) प्रस्तावना (Preparation):- प्रस्तावना पाठन-विधि का प्रथम पद है। इस पद में विद्यार्थियों के पूर्वज्ञान को जाँचने के लिये कुछ प्रश्न किये जाते हैं जिससे उनमें नवीन ज्ञान को सोखने के लिये उत्सुकता उत्पन्न हो जाये। दूसरे शब्दों में इस पद के अन्तर्गत विद्यार्थियों के पूर्व, अनुभवों की जाँच करते हुये उन्हें नवीन ज्ञान को ग्रहण करने के लिये तैयार किया जाता है।
  • (b) उद्देश्य कथन (Statement of Aim):– यह पद पहले पद का हो भाग है। यहाँ पर विद्यार्थियों को प्रकरण (Topic) स्पष्ट हो जाता है तथा शिक्षण स्वयं स्पष्ट शब्दों में प्रकरण को श्यामपट (Black Board) पर लिख देता है।
  • (ii) विषय प्रवेश (Presentation):- इस पद में विद्यार्थियों के सहयोग से मूल पाठ का विकास किया जाता है। दूसरे शब्दों में उनकी मानसिक क्रिया को उत्तेजित करके उन्हें स्वयं सीखने के अवसर प्रदान किये जाते हैं। शिक्षक विद्यार्थियों से प्रश्नों के द्वारा अधिकांश बातें उन्हीं से निकलवाने का प्रयास करता है जिससे नवीन ज्ञान का पूर्व ज्ञान से सम्बन्ध स्थापित हो जाये।
  • (iii) तुलना तथा सम्बन्ध (Comparison and Association):- इस पद को हरबार्ट महोदय ने सम्बन्ध की संज्ञा दी थी। यहाँ पर पढ़ाये गये तथ्यों, घटनाओं अथवा प्रयोगों का तुलना के द्वारा आपस में सम्बन्ध स्थापित किया जाता है जिससे विद्यार्थियों की समझ में पढ़ाई गई बातें स्पष्ट रूप में आ जाये।
  • (iv) निष्कर्ष (Generalization):- इस पद को हरबार्ट महोदय ने प्रणाली अथवा व्यवस्था (System) की संज्ञा दी थी। मूल पाठ को समझाने के पश्चात् इस पद में विद्यार्थियों को सोचने विचारने के अवसर प्रदान किये जाते है। इसके पश्चात् वे कुछ ऐसे सिद्धांतों तथा नियमों का निर्माण करते हैं जिनको भावी जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में लागू करने के अवसर प्रदान कर सकता है। इससे ज्ञान स्थाई हो जायेगा तथा नियमों की सत्यता भी सिद्ध हो सकेगी।
  • (v) प्रयोग (Application):— प्रयोग पाठन-विधि का अन्तिम पद है। इस पद में यह देखा जाता है कि सोखे हुये ज्ञान को नई परिस्थितियों में प्रयोग किया जा सकता है अथवा नहीं। इस बात की पुष्टि शिक्षक पुनरावृत्ति प्रश्नों द्वारा कर सकता है अथवा विद्यार्थियों को सोखे हुये ज्ञान को प्रयोग में लाने के लिये नवीन परिस्थितियों में लागू करने के अवसर प्रदान कर सकता है। इससे ज्ञान स्थाई हो जायेगा तथा नियमों की सत्यता भी सिद्ध हो सकेगी।

(3) सामाजिक प्रणाली (Social System):- शिक्षण की प्रक्रिया सामाजिक एवं व्यावसायिक है। इस सामाजिक व्यवस्था के सदस्य है—–(i) शिक्षक तथा (ii) विद्यार्थी इस स्तर पर शिक्षक का व्यवहार तानाशाही अथवा निरंकुशतावादी प्रवृत्ति पर आधारित होते हुये अधिकारपूर्ण (Dominating) होता है। वह अधिक क्रियाशील (Active) रहते हुय विद्यार्थियों के व्यवहार को पूर्ण रूप से नियन्त्रण में रखता है जिसके परिणामस्वरूप विद्यार्थी निष्क्रिय (Passive) श्रोता के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रकार शिक्षक का कार्य है-(i) पाठ्यवस्तु को प्रस्तुत करना, (ii) विद्यार्थियों की क्रियाओं को नियन्त्रित करना तथा (iii) उन्हें प्रेरणा प्रदान करना।

(4) मूल्यांकन प्रणाली (Support System):- स्मृति स्तर के शिक्षण में परीक्षा में भी रटने पर ही बल दिया जाता है। अतः इस स्तर के शिक्षण का मूल्यांकन करते समय मौखिक तथा लिखित दोनों प्रकार की परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है। स्मरण रहे कि इस स्तर के शिक्षण का मूल्यांकन करते समय वैसे तो निबन्धात्मक (Essay Type) परीक्षा को अधिक उपयोगी समझा जाता है पर वस्तुनिष्ठ (Objective Type) परीक्षाओं के द्वारा प्रत्यास्मरण (Recall) तथा पहचान (Recognition) के पदों का प्रयोग भी सफलतापूर्वक किया जाता है।

स्मृति स्तर पर शिक्षण को प्रभावित करने वाले कारक (Factor affecting of Memory Level Tenching)

  1. मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य
  2. शान्तिपूर्ण वातावरण
  3. सामग्री अथवा विषय वस्तु की सार्थकता
  4. अधिगम का स्तर एवं स्थरीकरण की मात्रा
  5. साहचर्य
  6. मस्तिष्क की संरचना
  7. अभ्यास एवं पुनरावृत्ति
  8. अभिप्रेरणा
  9. रुचि
  10. स्मरण की इच्छा
  11. अधिगम की विधियाँ
  12. परीक्षणों का प्रयोग

स्मृति स्तर शिक्षण के गुण (Qualities of Memory Level Teaching)

(1) बोध तथा चिन्तन स्तर का आधार:- स्मृति स्तर पर शिक्षण अधिगम विद्यार्थी को कई तथ्यों सामान्य नियमों तथा परिणामों को स्मरण करने की क्षमता प्रदान करता है। याद किया हुआ यह ज्ञान विद्यार्थी को शिक्षण-अधिगम के बोध एवं चिन्तन स्तर पर बहुत सहायक सिद्ध होता है। अतः शिक्षण-अधिगम का स्मृति बोध एवं चिन्तन स्तर के शिक्षण अधिगम में उच्चतर संरचना के निर्माण के लिए ठोस आधार प्रदान करता है।

(2) अधिकतम सूचना:- स्मृति स्तर के शिक्षण अधिगम में अध्यापक को अपने उद्देश्य प्राप्त करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होती है अर्थात् वह कम से कम समय में अपने विषय से सम्बन्धित ज्यादा से ज्यादा सूचना प्रदान करने में स्वतन्त्र होता है। इसमें वह न्यूनतम समय में कम से कम संसाधनों तथा सुविधाओं के प्रयोग में विषय-वस्तु की अधिकतम सूचनायें विधिवत् एवं नियोजित रूप से प्रस्तुत कर सकता है।

(3) छोटी आयु के बालकों के लिए अनुकूल:- स्मृति स्तर का शिक्षण अधिगम छोटे बालकों की प्रकृति के अनुकूल होता है, क्योंकि छोटी आयु में कण्ठस्थ करने की क्षमता तीव्र होती है। उनके बौद्धिक विकास में भी यह अनुकूल है, क्योंकि इस आयु में वह समझने, तुलना करने, विश्लेषण करने, संश्लेषण करने तथा सामान्यीकरण की स्थिति में नहीं होते।

(4) तथ्यों को ग्रहण करना:- स्मृति स्तर पर शिक्षण अधिगम विद्यार्थियों को उच्च बौद्धिक योग्यताओं तथा विचार प्रक्रियाओं के प्रयोग के बिना तथ्यों तथा सूचनाओं को ग्रहण करने में सहायता प्रदान करता है।

स्मृति स्तर शिक्षण के दोष अथवा सीमाएं (Defects or Limitations of Memory Level Teaching)

स्मृति स्तर शिक्षण में निम्नलिखित दोष एवं त्रुटियाँ हैं–

  1. शिक्षक एवं विद्यार्थियों में अन्तक्रिया (Interaction) नहीं होती।
  2. स्मृति स्तर शिक्षण में शिक्षक प्रधान होता है।
  3. इसमें विद्यार्थियों का स्थान गौण (Secondary) होता है।
  4. विद्यार्थियों को कठोर अनुशासन में रखा जाता है।
  5. स्मृति स्तर शिक्षण-अधिगम में रटने पर अधिक बल दिया जाता है।
  6. इस शिक्षण में बुद्धि का महत्त्व नहीं होता। है।
  7. स्मृति स्तर का शिक्षण ज्ञानात्मक पक्ष तक ही सीमित रहता
  8. स्मृति स्तर के शिक्षण में अभिप्रेरणा (Motivation) का अभाव रहता है।
  9. सीखे हुए ज्ञान का मूल्यांकन परम्परागत विधि से ही किया जाता है।
  10. स्मृति स्तर पर ज्ञान 'सतही ज्ञान' हो रहता है।
  11. स्मृति स्तर शिक्षण में विद्यार्थियों पर अत्यन्त बोझ पड़ता है।

स्मृति स्तर शिक्षण को प्रभावी बनाने के उपाय (Mathods to Make Memory Level Teaching Effective)

स्मृति स्तर शिक्षण प्रभावी बने इसके लिए निम्नलिखित साधन अपनाये जा सकते हैं-

  1. पाक वस्तु को क्रमानुसार छात्रों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाये।
  2. जब विद्यार्थी सीखने के लिए तैयार हो तभी उन्हें शिक्षण प्रदान किया जाये।
  3. शिक्षण से सम्बन्धित जितनी भी बिन्दु हैं, उन्हें समग्र रूप में ही प्रस्तुत किया जाये।
  4. शिक्षण का लक्ष्य होना चाहिए-ज्ञान की प्राप्ति।
  5. सार्थक और तथ्ययुक्त सामग्री ही प्रस्तुत की जाये।
  6. कक्षा में अभ्यास और पुनरावृत्ति को प्रोत्साहित किया जाये क्योंकि उनके द्वारा ही प्रत्यास्मरण को बढ़ाया जा सकता है।
  7. छात्रों को पाठ्यक्रम की जो पुनरावृत्ति कराई जाये, उसमें भी कोई लय हो, कोई क्रम हो।

स्मृति स्तर के शिक्षण हेतु सुझाव (Tips for Teaching Memory Levels)

स्मृति स्तर के शिक्षण को अधिक उपादेय तथा प्रभावशाली बनाने के लिए निम्नांकित सुझाव दिये जा रहे हैं-

  1. पाठ्य-वस्तु को सार्थक बनाया जाये।
  2. पाठ्य-वस्तु समग्र रूप में प्रस्तुत की जाये।
  3. पाठ्य-वस्तु क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत की जाये।
  4. अभ्यास के लिए अधिक समय दिया जाये।
  5. थकान के समय शिक्षण न किया जाये।
  6. सुनिश्चित पुनर्बलन प्रणाली का प्रयोग किया जाये।
  7. इस स्तर पर शिक्षण केवल ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य तक ही रखा जाये।
  8. पुनरावृत्ति एक लय में की जानी चाहिए।

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