For Buying Class 12th Physics Notes, Click the Given Link. Click Here

गुणात्मक एवं मात्रात्मक मापन में अन्तर | Difference between Qualitative and Quantitative Measurement in hindi

आधुनिक युग मापन का युग कहा जाता। एस. एस. स्टीवेन्स के अनुसार, "मापन किन्ही निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है

मापन का अर्थ (Meaning of Measurement)

किसी भौतिक राशि का परिमाण संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है। मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है।

Difference between Qualitative and Quantitative Measurement

मापन की परिभाषा (Definition of Measurement)

1. एस० एस० स्टीवेन्स के अनुसार, "मापन किन्ही निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है।"

2. हैल्मस्टेडटर के अनुसार, "मापन को एक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें किसी व्यक्ति या पदार्थ में निहित विशेषताओं का आंकिक वर्णन होता है।"

3. गिलफोर्ड के अनुसार- “मापन वस्तुओं या घटनाओं को तर्कपूर्ण ढंग से संख्या प्रदान करने की क्रिया है।”

गुणात्मक एवं मात्रात्मक मापन में अन्तर

S.No. गुणात्मक मापन मात्रात्मक मापन
1.
गुणात्मक मापन का आधार प्रायः मानदण्ड होते हैं। मात्रात्मक मापन का आधार सदैव इकाई अंक होते हैं।
2.
गुणात्मक मापन के मानदण्ड प्रायः सर्वमान्य नहीं होते हैं। मात्रात्मक मापन के इकाई अंक सर्वमान्य होते हैं।
3.
गुणात्मक मापन में शून्य की स्थिति नहीं होती है। मात्रात्मक मापन का आधार ही शून्य होता है।
4.
गुणात्मक मापन कभी भी अपने पूर्ण रूप में नहीं किया जा सकता है। मात्रात्मक मापन उसके अपने पूर्ण रूप में किया जा सकता है।
5.
परिमाणात्मक मापन में वस्तुनिष्ठता होती है।ये माप, स्थायी, स्थिर तथा निरपेक्ष होते हैं। इसमें मापन विषयगत (Subjective) अस्थिर तथा सापेक्ष (Relative) होते हैं।
6.
इसमें इकाइयों की स्पष्टता, निर्दिष्टता सुनिश्चितता होती है। इसमें इकाइयाँ निश्चित तथा निर्दिष्ट नहीं होती।

परिमाणात्मक मापन के गुण

परिमाणात्मक मापन के अग्रलिखित गुण हैं-

  1. इन सभी इकाइयों का सम्बन्ध एक शून्य बिन्दु से होता है। इकाई का अर्थ होता है, शून्य बिन्द से ऊपर एक निश्चित मूल्य । छः फीट का अर्थ है '0' से ऊपर छ: फीट।
  2. परिमाणात्मक मापन में किसी यन्त्र पर समान इकाइयाँ समान परिमाण की होती हैं: जैसे—एक फुट के सभी इंच बराबर दूरी के होते है, एक मील में सभी गज समान दूरी के आदि।
  3. परिमाणात्मक मापन अपने आप में सम्पूर्ण होता है। हम चाहे तो किसी कपड़े के टुकड़े की सारी लम्बाई का मापन कर सकते हैं।
  4. किसी वस्तु का मापन स्थिर या निरपेक्ष रहता है; जैसे- माँसपेशियों के सिकुड़ने की गति।

इन सभी विशेषताओं से ज्ञात होता है कि परिमाणात्मक भौतिक मापन वस्तुनिष्ठ होता है। यह आत्मनिष्ठ मूल्यांकन से प्रभावित नहीं होता।

गुणात्मक मापन के गुण

गुणात्मक मापन के गुण निम्नलिखित हैं-

  1. इसमें कोई शून्य बिन्दु नहीं होता। यदि किसी बुद्धि-परीक्षण में किसी बालक की बुद्धि-लब्धि 'शून्य' आ भी जाए, तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि उस बालक में बुद्धि शून्य है। इसी प्रकार इकाइयों का सम्बन्ध निरपेक्ष न होकर सापेक्ष है। यदि एक बालक को बुद्धि-लब्धि 120 है और दूसरे की 60, तो इसका यह अर्थ नहीं कि पहले में दूसरे में दुगुबुद्धि है।
  2. मानसिक या गुणात्मक मापन की इकाइयाँ आपस में समान नहीं है। 13 और 132 मानसिक आयु वाले बालको की मानसिक आयु का अन्तर उतना ही नहीं है जितना 6 और 62 वर्ष की मानसिक आयु वाले बालको का।
  3. भौतिक मापन जैसे 80 पौण्ड या 15 इंच निश्चित परिमाण की और संकेत करते हैं, पर मनोवैज्ञानिक मापन में ऐसा नहीं है। यदि एक परीक्षार्थी गणित के प्रश्नों में 10 में से 8 ठीक करे तथा लेखन में 200 शब्दों में 50 भूले करे, तो हम यह नहीं कह सकते कि वह गणित में होशियार है और लेखन में कमजोर।
  4. गुणात्मक मापन में तुलना का आधार प्रायः मानक होते हैं जो सामान्य वितरण में औसत निष्पादन के आधार पर बनाये जाते हैं।

मापन की विशेषताएँ

आधुनिक युग मापन का युग कहा जाता है। इनका महत्त्व / विशेषताएँ कई दृष्टिकोणों में स्वीकार किया जाता है। सर्वप्रथम यह किसी भी वस्तु का आंशिक वर्णन बिल्कुल शुद्ध रूप से करता है। यह इस बात को स्पष्ट इंगित करता है कि कोई बालक औसत बुद्धि-लब्धि से कितना अधिक उच्च या निम्न है। मापन का दूसरा लाभ यह है कि इसके द्वारा हम आसानी से परिणामों को दूसरों को संचारित कर सकते हैं, क्योंकि इसमें आत्मनिष्ठ निर्णयों का कोई स्थान नहीं होता।

उदाहरणार्थ, यदि हम यह कहे कि एक अमुक पात्र को यदि उसकी आयु समूहों के छात्रों की बुद्धि से 90 प्रतिशत अधिक है, इस निष्कप को आसानी से अन्य व्यक्तियों के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। नापन का अन्य लाभ व्यक्ति के मूल्यांकन में सहायक होता है, यदि मानकीकृत मापका द्वारा किसी व्यक्ति को व्यावहारिक विशेषताओं का मापन किया जाय तो परिणाम वध होंगे। अन्न में, यह भी कहा जा सकता है कि आत्मनिष्ठ मूल्याकनो की अपेक्षा मापन का प्रयोग अधिक मितव्ययों है। आत्मनिष्ठ साधनों की अपेक्षाकृत मानसिक परीक्षण मितव्ययी, सरल तथा अधिक शुद्ध निष्कर्ष प्रदान करने वाले होते हैं।