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निर्धारण मापनी का अर्थ, परिभाषाएँ, प्रकार, उपयोग एवं विशेषताएँ | Meaning, Definitions, Types, Uses and Characteristics of Rating Scale in hindi

'निर्धारण मापनी' व्यक्ति अध्ययन की एक महत्त्वपूर्ण विधि है। 'क्रम निर्धारण विधि' (Rating Method) या 'क्रम निर्धारण मान' के अन्तर्गत किसी बालक या

निर्धारण मापनी का अर्थ

'निर्धारण मापनी' व्यक्ति अध्ययन की एक महत्त्वपूर्ण विधि है। 'क्रम निर्धारण विधि' (Rating Method) या 'क्रम निर्धारण मान' के अन्तर्गत किसी बालक या व्यक्ति के विशिष्ट गुणों, व्यवहार और लक्ष्यों आदि का मूल्यांकन (Evaluation) उसके सम्पर्क में रहने वाले व्यक्तियों से करवाया जाता है। 'क्रम निर्धारण विधि' में व्यक्ति या बालक के विभिन्न गुणों, लक्ष्यों आदि से सम्बन्धित एक क्रमबद्ध सूची होती है, जिनमें से क्रम निर्धारक (Rater) सूची में दिए गए विभिन्न गुणो या लक्षणों के सम्बन्ध में किसी एक पर अपनी राय देता है।

Meaning, Definitions, Types, Uses and Characteristics of Rating Scale

निर्धारण मापनी की परिभाषाएँ

1. गैरेट के अनुसार, "व्यक्ति के व्यवहार के कुछ लक्षण और विशेषताएँ है, जिनको वस्तुनिष्ठ परीक्षणों की सहायता से सरलतापूर्वक नहीं जाना जा सकता है। 'क्रम निर्धारण' इन लक्षणों और विशेषताओं की सीमा के सम्बन्ध में निर्णयों को प्राप्त करने की विधि है।"

2. राइंटस्टोन के अनुसार, "क्रम निर्धारण मान या निर्धारण मापनी में कुछ चुने हुए शब्दों, वाक्यों, बाक्यांशों या पैराग्राफ की एक सूची होती है, जिसके आगे निरीक्षण करने वाले मूल्यों के किसी वस्तुनिष्ठ मान के आधार पर कुछ मूल्य अंकित करता है।"

3. आइजॅक तथा अन्य (1972) के शब्दों में, “निर्धारण मापनी वह बहुस्तर वाली मापनी है, जिस पर निर्धारण करने वाला व्यक्ति एक विशेषता की मात्रा आत्मगत रूप से व्यवस्थित करता है। प्राया इस प्रकार की मापनियों में पांच छः या सात अवस्थाएँ होती हैं जो प्रयोज्य को मौखिक रूप से बताई जाती है अथवा संख्यानुसार दिखा दी जाती है।"

निर्धारण मापनी के प्रकार

1. चैकलिस्ट:- इसका उपयोग व्यक्ति के किसी गुण की उपस्थिति या अनुपस्थिति के बारे में ज्ञात करने के लिए किया जाता है। इसमें उस गुण से सम्बन्धित कुछ कथन दिये हुए होते हैं जो उस गुण की उपस्थिति या अनुपस्थिति की ओर इंगित करते हैं।

2. आंकिक मापनी:- आंकिक मापनी में अंको के आधार पर यथा 3, 5 या 7 बिन्दुओं पर प्रत्येक कथन पर मापनी उत्तर देने वाले प्रयोज्यकर्ता की सहमति या असहमति की सीमा ज्ञात की जाती है। मापनी के सभी कथनों पर प्रयोज्यकर्ता की प्रतिक्रिया प्राप्त कर उस सीमा के योग द्वारा उस गुण की मात्रा उपस्थिति अनुपस्थिति की स्थिति को ज्ञात किया जाता है।

3. ग्राफिक मापनी:– यह मापनी भी आंकिक मापनी के समान ही होती है। इसमें प्रयोगकर्ता द्वारा प्रत्येक कथन पर दी गई प्रक्रिया को क्षितिज रेखा पर सहमति असहमति के दो छोरो पर किसी बिन्दु पर लगाकर दी जाती है तथा किसी एक छोर से दूरी के आधार पर उस गुण की स्थिति की मात्रा ज्ञात की जाती है।

4. क्रमिक मापनी:— इसमे प्रयोज्यकर्ता निर्धारक द्वारा किसी गुण विशेष के अनेक उपगुणों को व्यक्ति में उपस्थित गुणों के आधार पर क्रमबद्ध कराया जाता है। इस मापनी की सहायता से व्यक्तियों के अतिरिक्त वस्तुओं या गुणों के सापेक्षिक महत्व को भी जाना जा सकता है।

5. स्थानिक मापनी:— इस मापनी की सहायता से किसी व्यक्ति, वस्तु, समूह, कार्य विशेष के सन्दर्भ में स्थान सूचक मान यथा ग्रेड, प्रतिशत, दशांक अथवा शतांक प्रदान कर उसके स्थान को ज्ञात किया जा सकता है।

6. बाध्य चयन मापनी:— इस प्रकार की मापनी में प्रत्येक प्रश्न अथवा कथन के दो या दो से अधिक उत्तर होते हैं तथा निर्धारक को दिये गये उत्तरों में से सही उत्तर चयन करने की बाध्यता होती है। निर्धारक को दिये गये उत्तरों में से किसी एक उत्तर का चयन करना ही होता है।

रेटिंग स्केल या क्रम निर्धारण विधि के गुण या विशेषताएँ

क्रम निर्धारण विधि के मुख्य-मुख्य गुण या विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. इस विधि की सहायता से छात्रों के गुणों तथा दोषों का पता लगाकर उनको उचित निर्देशन दिया जा सकता है।
  2. छात्रों की प्रगति के बारे में जानकारी प्राप्त करने में यह विधि अत्यधिक उपयोगी है।
  3. यह विधि छारों के विभिन्न गुणों, लक्षणों, शैक्षिक उपलब्धियों तथा व्यवहार विशेषताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है।
  4. यह विधि अध्यापकों को छाने की कार्यप्रणाली से अवगत कराती है।
  5. यह विधि व्यक्ति अध्ययन को सफल बनाने के लिए पूरक (Supplement) का काम करती है।
  6. क्रम निर्धारण विधि छात्रों को उनकी शैक्षिक उपलब्धियों से अवगत करवाकर उनका उचित निर्देशन देती है तथा साथ-ही-साथ उनको अपने दोषों या कमियों के बारे में जानकारी देकर उनको दूर करने की कोशिश करती है।

रेटिंग स्केल या निर्धारण मापनी के उपयोग

निर्धारण मापनी के निम्नलिखित उपयोग हैं-

  1. निर्धारण मापनी से विद्यालय में अध्यापक अभिभावकों के लिए उनके बच्चो सम्बन्धी रिपोर्ट तैयार करने में सहायता मिलती है।
  2. इसकी सहायता से इस बात का निर्णय किया जा सकता है कि छात्र विद्यालय में प्रवेश लेने के पश्चात् कौन-कौन से पाठ्यक्रम का चुनाव करें।
  3. निर्धारण मापनी छात्रों की आवश्यकताओं एवं कठिनाइयों का पता लगाने में सहायता प्रदान करती है।
  4. निर्धारण मापनी से कर्मचारियों के चुनाव में भी सहायता मिलती है।
  5. निर्धारण मापनी अनुसन्धान कार्य में किसी अन्य स्रोत से आंकड़ों की वैधता ज्ञात करने में सहायता प्रदान करती है।
  6. निर्धारण मापनी द्वारा जिन व्यक्तियों का मापन किया जाता है उन्हें अपने कार्य को करने के लिए प्रेरित भी किया जाता है।

निर्धारण मापनी की सीमाएँ

निर्धारण मापनी की निम्नांकित सीमायें होती हैं-

  1. यह व्यक्तिनिष्ठ मापनी है।
  2. इस मापनी में रेटिंग की विश्वसनीयता में अधिक अन्तर पाया जाता है क्योंकि कुछ मापनकर्ता स्वभाव से कुछ उदार तथा कठोर होते हैं।
  3. मापनकर्ता की तात्कालिक प्रतिक्रियाओं व परिस्थितियों का प्रभाव रहता है।
  4. इस मापनी में अधिकांश मापन कर्ता निर्धारण बिन्दुओं में विभेद नहीं कर पाते, जबकि अति उत्तम तथा उत्तम औसत व औसत से निम्न स्तर में भेद करना कठिन होता है, इसलिये इस मापनी में अधिक बिन्दु होने पर उनकी जटिलता बढ़ जाती है अतः सही निर्णय नहीं होता।
  5. जब निर्धारण मापनी का व्यक्ति स्वयं अपने लिये प्रयोग करता है तो अपेक्षा से अधिक रेटिंग अंकित करता है तथा हीन पक्ष पर चिह्न नहीं लगाता।
  6. इस मापनी के द्वारा सामान्य गुणों तथा मूल्यों का मापन विश्वसनीय रूप में किया जा सकता है लेकिन विशिष्ट गुणों व मूल्यों का मापन कठिन होता है क्योंकि मापन-कर्त्ता अनुमान से रेटिंग बिन्दु अंकित करता है।
  7. इस मापनी में उत्तर तार्किक न होने पर मापन कर्ता अपने निर्धारण बिन्दु को अंकित करने का औचित्य देने में समर्थ नहीं होता।

निर्धारण मापनी के निर्माण एवं उपयोग सम्बन्धी सावधानियाँ

रेटिंग प्रविधि की रचना में कठिनाई होती है। एक उत्तम निर्धारण मापनी की रचना शोधकर्ता के लिये चुनौती होती है तथा मूल्यांकन भी उतना ही जटिल होता है। जिस गुण-विशेष का मापन किया जाये उसके पक्षों को क्रमबद्ध रूप में व्यावहारिक कथनों में लिखा जाये। कथनों की व्यवस्था तार्किक ढंग में करनी चाहिए-

  1. इस मापनी की सफलता, जैसा कि पूर्व में कहा जा चुका है कि गुणों की परिभाषा विभिन्न स्तरों पर कितने स्पष्ट रूप से की गई है। विभिन्न स्तरों पर गुण की व्यवहार - व्याख्या करना गुण के सही मूल्यांकन के लिये अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
  2. इस मापनी का उपयोग उन्हीं व्यक्तियों को करना चाहिए जो कि विषय के निकट रूपेण सम्बन्धित हो क्योंकि तभी विश्वसनीय सूचनाएं प्राप्त होने की सम्भावनाएं हो सकती है।
  3. प्रायः यह देखा गया है कि निर्धारक व्यक्ति के गुणों के निर्धारण हेतु वे केवल औपचारिकता निभाने हेतु कहीं भी चिह्न लगा देते हैं। अतः इस सम्भावना को कम करने के लिए कई बार निर्धारकों से जिन प्रेक्षणों के आधार पर गुण का निर्धारण किया गया है। उन्हें भी लिखने के लिए कहा जाना चाहिए।
  4. किसी भी गुण का निर्धारण करते समय अल्पकालीन प्रेक्षणों के आधार पर अपना मत व्यक्त नहीं करना चाहिए। लम्बी अवधि तक यदि गुण का निरीक्षण किया गया हो तभी इन अनुभवों के आधार पर गुण-निर्धारण करना वांछनीय होगा।
  5. इस मापनी का प्रयोग करते समय निर्धारक को यह ध्यान रखना चाहिए कि अपने पूर्वाग्रहो, व्यक्तिगत रूचियो, अरुचियों आदि का प्रभाव व्यक्ति के गुण-निर्धारण पर न पड़ने पाए।
  6. यह भी पाया गया है कि निर्धारक नकारात्मक राय देने से हिचकिचाते हैं और केवल अच्छे पक्षों को ही प्रकाश में लाना चाहते हैं। अतः निर्धारकों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएँ कि वे निःसंकोच गुणों का निर्धारण करें और उन्हें यह भी आश्वासन दिया जाए कि उनके निर्धारण गोपनीय रखे जाएँगे।
  7. मापनी के मूल्यांकन के लिए अधिक निर्णायकों को सम्मिलित करना चाहिये जिससे उसे अधिक विश्वसनीय बनाया जा सके।