Story Board Teaching Method in hindi
स्टोरी बोर्ड शिक्षण विधि (Story Board Teaching Method)
स्टोरी बोर्ड शिक्षण विधि एक ग्राफिक आयोजक है जो एक कक्षा की योजना बनाता है। स्टोरीबोर्ड नेत्रहीन रूप से उपस्थित जानकारी का एक शक्तिशाली तरीका है, कोशिकाओं की रैखिक दिशा कहानी कहने, एक प्रक्रिया की व्याख्या करने और समय बीतने को दर्शाने के लिए एकदम सही है। उनके मूल में, स्टोरीबोर्ड एक कहानी कहने के लिए अनुक्रमिक चित्र का एक सेट है। एक कहानी को रैखिक, काटने के आकार में विखंड में तोड़कर, यह लेखक को प्रत्येक कोशिका पर ध्यान भंग किए बिना अलग से ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है।
स्टोरी बोर्ड मूलत: रेखाचित्रों अथवा चित्रों की श्रृंखला होती है जिसका उद्देश्य किसी फिल्म, एमोमेशन, गति चित्र अथवा संवादात्मक मीडिया जैसे वेबसाईट का पूर्वावलोकन करना होता है। स्टोरीबोडिंग प्रक्रिया, जिस रूप में आज जानी जाती है, का विकास वॉल्ट डिज्नी स्टूडियो में 1930 के प्रारम्भ में, कई वर्षों तक वोल्ट डिज्नी स्टूडियो और अन्य कई एनीमेशन स्टूडियो में वर्षों तक समान एक कथा क प्रक्रियाएं अपनाने के बाद हुआ। एक स्टोरीबोर्ड ग्राफिक आयोजक है जो एक कथा का वर्णन करता है।
स्टोरी बोर्ड:- यह आरेखों की एक श्रृंखला है जो प्रदर्शनों का एक काम दिखाती है। स्टोरीबोर्ड का उपयोग लगभग किसी भी उत्पादन एप्लिकेशन में किया जा सकता है जिसमें दिए गए के दृश्य की कल्पना की आवश्यकता होती है। सामाजिक विज्ञान शिक्षण में स्टोरीबॉर्डों का उपयोग दिए गए कथा पर चर्चा को प्रोत्साहित करने में किया जाता है। स्टोरीबोर्ड जल्दी एक कहानी कहने का एक प्रभावी तरीका है। स्टोरीबोर्ड में प्राफिक्स की मदद से मोशन पिक्चर, एनीमेशन, मोशन ग्राफिक या इंटरैक्टिव मीडिया को पूर्व-विजुअलाइज किया जाता है।
स्टोरी बोर्ड शिक्षण विधि के तत्व (Elements of Story Board Teaching Method)
स्टोरी बोर्ड शिक्षण विधि के साधारणत: चार तत्व होते हैं। इनकी रूपरेखा में चारों तत्वों की व्याख्या एक साथ की जा सकती है। ये चारों तत्व इस प्रकार हैं-
(1) उद्देश्य:- उद्देश्य से तात्पर्य उस बिन्दु से है, जिसके लिए स्टोरीबोर्ड विकसित किया जाता है। शिक्षण के लक्ष्य तथा उद्देश्य ही शिक्षण स्टोरीबोर्ड के उद्देश्य को निर्धारित करते हैं। स्टोरीबोर्ड का उद्देश्य (Focus) ही केन्द्र बिन्दु माना जाता है।
(2) संरचना:- स्टोरीबोर्ड की संरचना में सोपान की व्याख्या की जाती है। इसके अन्तर्गत क्रियाओं तथा युक्तियों की व्यवस्था का क्रम निर्धारित किया जाता है। क्रियाओं की व्यवस्था इस प्रकार की जाती है, जिससे सीखने की ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न की जा सकें एवं जिनसे उद्देश्यों को प्राप्ति की जा सके। छात्रों तथा शिक्षक की अन्तः प्रक्रिया के प्रारूप को क्रमबद्ध रूप में व्यवस्थित किया जाता है।
(3) सामाजिक प्रणाली:- शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है, इसलिए छात्र और शिक्षक की क्रियाओं और उनके आपसी सम्बन्धों का निर्धारण इस सोपान में किया जाता है। छात्रों को अभिप्रेरणा देने की प्रविधियों पर भी विचार किया जाता है। शिक्षण को प्रभावशाली बनाने में सामाजिक प्रणाली का विशेष महत्व होता है। छात्रों के व्यवहार का नियन्त्रण तथा उनमें अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन लाना सामाजिक प्रणाली पर भी आधारित होता है। शिक्षण के प्रत्येक प्रतिमान की अपनी विशिष्ट सामाजिक प्रणाली होती है। सामाजिक प्रणाली का प्रारूप प्रतिमान के लक्ष्य पर निर्भर होता है।
(4) सहायक प्रणाली:- शिक्षण के स्टोरीबोर्ड का यह अन्तिम सोपान अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें शिक्षण की सफलता के सम्बन्ध में निर्णय लिया जाता है कि उद्देश्यों की प्राप्ति हो सकी है अथवा नहीं। इसके आधार पर प्रयुक्त की गई शिक्षण आव्यूह तथा युक्तियों को प्रभावशीलता का पता चलता है और उनमें सुधार एवं परिवर्तन लाया जा सकता है। प्रत्येक प्रतिमान का उद्देश्य भिन्न होता है। इसलिए मूल्यांकन विधि भी भिन्न होती है।
स्टोरी बोर्ड शिक्षण विधि के सोपान (Steps of Story Board Teaching Method)
स्टोरीबोर्ड शिक्षण विधि के सन्दर्भ में हरबर्ट सीखने में संचित ज्ञान सिद्धान्त (Apperceptive Mass Theory) को मानता है। इस सिद्धान्त की धारणा है कि ज्ञान बाहर से दिया जाता है और वह संचित होता रहता है। यदि नवीन ज्ञान को पूर्व संचित ज्ञान से सम्बन्धित करके शिक्षण किया जाये तो अधिगम प्रभावशाली तथा स्थायी होता है। नवीन पाठ्यवस्तु के शिक्षण की व्यवस्था एक क्रम में की जाये, जिससे छात्र पूर्व ज्ञान से सम्बन्ध स्थापित कर सकें। इसके लिये इस प्रणाली का अनुसरण किया जाता है- (1) योजना (2) प्रस्तुतीकरण (3) तुलना एवं समरूपता (4) सामान्यीकरण तथा (5) प्रयोग
(1) योजना:- शिक्षक पाठ्यवस्तु के तत्वों को अपने चेतन मस्तिष्क में ले आता है। उनको व्यवस्था क्रमबद्ध रूप में कर लेता है।
(2) प्रस्तुतीकरण:- शिक्षक नवीन तथ्यों को छात्रों के पूर्व ज्ञान से सम्बन्ध स्थापित करते हुए प्रस्तुत करता है। विकासात्मक तथा बोध प्रश्नों की सहायता से प्रस्तुतीकरण करता है।
(3) तुलना एवं समरूपता:- छात्रों को नवीन तथ्यों का पूर्व तथ्यों से सम्बन्ध स्थापित कराया जाता है।
(4) सामान्यीकरण:- इस सोपान में छात्र दो या दो से अधिक तथ्यों में सम्मिलित बताने का प्रयास करता है, जिससे वह कोई अधिगम निकाल सकता है।
(5) प्रयोग:- इस सोपान में शिक्षक ऐसी परिस्थितियाँ प्रस्तुत करता है, जिनमें छात्र अपने तत्वों को सीखे हुये ज्ञान का प्रयोग कर सकता है।
स्टोरीबोर्ड शिक्षण विधि की रूपरेखा (Outline of Storyboard Teaching Method)
इन पाँच सोपानों के आधार पर स्टोरीबोर्ड शिक्षण विधि की रूपरेखा विकसित की गई है। इसके प्रमुख पक्ष इस प्रकार हैं-
- विषय, प्रकरण, कक्षा, विभाग, कालांश तथा दिनांक।
- सामान्य उद्देश्य।
- विशिष्ट उद्देश्य।
- प्रस्तावनाव
- उद्देश्य कथन।
- प्रस्तुतीकरण विकासात्मक प्रश्न।
- विकासात्मक प्रश्न।
- स्पष्टीकरण।
- श्यामपट्ट सार।
- पुनरावृत्ति प्रश्न तथा
- गृह कार्य।
स्टोरी बोर्ड शिक्षण विधि में इन्हीं बिन्दुओं का अनुसरण किया जाता है। इन बिन्दुओं का विवेचन इस प्रकार है-
(1) विषय, कक्षा तथा प्रकरण आदि:- स्टोरीबोर्ड विधि का विशिष्टीकरण तथा सीमांकन होता है। सर्वप्रथम प्रकरण का चयन किया जाता है और किस स्तर पर शिक्षण किया जाये, शिक्षण का दिनांक, कक्षा तथा विभाग पूर्व निर्धारित कर लिये जाते हैं। किस विद्यालय में शिक्षण किया जायेगा, इसका भी उल्लेख किया जाता है।
(2) सामान्य उद्देश्य:- प्रथम बिन्दुओं के आधार पर सामान्य उद्देश्यों को निर्धारित किया जाता है। भाषा, विज्ञान, गणित तथा सामाजिक विषयों के सामान्य उद्देश्य भिन्न होते हैं। एक ही विषय का एक ही प्रकरण विभिन्न स्तरों पर शिक्षण के लिये प्रयोग होता है किन्तु उसके सामान्य उद्देश्य भिन्न होते हैं। सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति में पाठ योजना सहायक होती है, परन्तु एक कालांश के शिक्षण से विशिष्ट उद्देश्य ही प्राप्त किये जा सकते हैं।
(3) विशिष्ट उद्देश्य:– स्टोरीबोर्ड की सहायता से कुछ विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है, जिनका सम्बन्ध सामान्य उद्देश्यों से होता है। सामाजिक विषयों की पाठ योजना से तथ्यों एवं सूचनाओं की जानकारी होती है। भाषा के शिक्षण से कौशल का विकास होता है। विज्ञान तथा गणित से प्रत्ययों का बोध होता है और कारण प्रभाव जानने की क्षमता का विकास होता है। इस प्रकार विषय के प्रकरण की प्रकृति के आधार पर विशिष्ट उद्देश्य निर्धारित कर लिये जाते हैं।
(4) प्रस्तावना:– शिक्षक अपने पाठ को स्टोरीबोर्ड विधि में कैसे आरम्भ करेगा इसकी प्रस्तावना तैयार कर ली जाती है। प्रस्तावना में छात्रों को पूर्व ज्ञान से सम्बन्धित प्रश्नों की सहायता से नवीन प्रकरण पर लाया जाता है। इसमें अधिक सूझ-बूझ की आवश्यकता होती है। पाठ के आरम्भ करने में प्रकरण की भूमिका के लिये प्रस्तावना स्तर के प्रश्नों (Introductory Questions) की सहायता ली जाती है।
(5) उद्देश्य कथन:- प्रस्तावना स्तर के प्रश्नों की सहायता से शिक्षक छात्रों से प्रकरण निकलवाता है और प्रकरण का कथन देता है कि आज इस प्रकरण का अध्ययन करेंगे।
(6) विकासात्मक प्रश्न:– उद्देश्य कथन के बाद शिक्षक जब स्टोरीबोर्ड के द्वारा पाठ आरम्भ करता है तो विषय का प्रस्तुतीकरण करने के लिये प्रश्नों को पूछता है, जिन्हें विकासात्मक प्रश्न कहते हैं। ऐसे प्रश्न पाठ में तार्किक विकास के लिये महत्वपूर्ण होते हैं।
(7) स्पष्टीकरण:- विकासात्मक प्रश्नों का उत्तर जब छात्र स्पष्ट रूप में नहीं दे पाते. उस समय शिक्षक उनका स्पष्टीकरण करने के लिये अपना कथन देता है।
(8) श्यामपट्ट सार:- अध्यापक शिक्षण बिन्दुओं तथा उनकी व्याख्या को श्यामपट्ट पर अंकित करता है। गणित, विज्ञान, भाषा शिक्षण में शिक्षक साथ-साथ भी लिखते जाते हैं तथा सामाजिक विषयों में अन्त में भी श्यामपट्ट सार दिया जाता है।
(9) पुनरावृत्ति प्रश्न:– श्यामपट्ट सार को छात्र भी उत्तर पुस्तिकाओं में लिख लेते हैं, उसके बाद शिक्षक श्यामपट्ट सार को मिटा देता है। प्रकरण को दोहराने तथा अभ्यास करने के लिये प्रश्नों को पूछता है। इन प्रश्नों की सहायता से ज्ञान को ठोस किया जाता है, तथा विचारों को सुव्यवस्थित रूप दिया जाता है। इनसे यह बोध होता है कि छात्रों ने कितना सीखा है?
(10) गृह-कार्य:— उस प्रकरण पर शिक्षक गृह-कार्य भी देता है। इसका उद्देश्य भी अभ्यास तथा दोहराना है, गृह कार्य से छात्रों को परिपाक (Ass ilation) के लिये भी अवसर मिलता है। छात्र को अभ्यास तथा स्वाध्याय भी करना होता है।
स्टोरी बोर्ड शिक्षण विधि का महत्व (Importance of Storyboard Teaching Method)
- विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था में विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इनको प्रयुक्त किया जा सकता है। इनके द्वारा शिक्षण को अधिक सार्थक तथा प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
- विद्यालयों के विभिन्न विषयों के शिक्षण में विशिष्ट प्रतिमानों को ही प्रयुक्त किया जा सकता है।
- स्टोरीबोर्ड को सामाजिक, व्यक्तिगत, ज्ञानात्मक तथा व्यावहारिक पक्षों के विकास के लिए विकसित किया जाता है। अतः शिक्षण के सभी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इनको प्रयुक्त किया जा सकता है।
- स्टोरीबोर्ड अभी जाँच (Trial) स्तर पर ही है। इनके आधार पर शिक्षण सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जा सकता है।
- इन स्टोरीबोर्ड से सादृश अनुभव ग्रहण कर भारतीय परिस्थिति के लिए अधिक प्रभावशाली प्रतिमानों की रचना की जा सकती है।
- स्टोरीबोर्ड शिक्षण प्रक्रिया में शोध कार्य के लिए विशाल क्षेत्र प्रस्तुत करते हैं, जिससे शिक्षण की प्रक्रिया को समझा जा सकता है और उनके चरों (Variables) का उल्लेख किया जा सकता है।
- शिक्षण विधियों में पाठ्यवस्तु को प्रधानता दी जाती है जबकि शिक्षण स्टोरीबोर्ड में उद्देश्यों को प्रधानता दी जाती है, जिससे शिक्षण को अधिक सार्थक तथा उपयोगी बनाया जा सकता है।
- शिक्षण तथा अधिगम क्रियाओं के सम्बन्ध में विभिन्न परिस्थितियों का भली प्रकार अध्ययन किया जा सकता है।
- ारतीय परिस्थिति में कक्षा शिक्षण की समस्याओं के समाधान के लिए स्टोरीबोर्ड को विकसित किया जा सकता है।
- मनोवैज्ञानिक शक्तियों का शिक्षण में प्रभावशाली रूप प्रयुक्त करने के लिए नवीन स्टीरीबोर्ड की विकास किया जा सकता है।
- शिक्षा की मूल्यांकन प्रणाली का विकास स्टोरीबोर्ड के द्वारा किया जा सकता है।