केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE) के कार्य | Functions of Central Advisory Board of Education in hindi

शिक्षा का केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (Central Advisory Board of Education)

शिक्षा सम्बन्धी विषयों के लिए प्रान्तीय सरकारों को सलाह देने के लिए (CABE) की स्थापना 1921 में की गई थी। 1923 में इसे विघटित कर दिया गया था। हटांग समिति की सिफारिश के परिणामस्वरूप इसे 1935 में पुन: स्थापित किया गया। 1944 में भारतीय शिक्षा सलाहकार सर जॉन सार्जेण्ट ने भारत में युद्धोत्तर शिक्षा विकास पर एक स्मृति-पत्र तैयार करने का आदेश दिया और सन् 1944 में उन्होंने अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के समक्ष रखी। बोर्ड को इसकी स्वीकृति भी मिल गई-

केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE) के कार्य

शिक्षा के केन्द्रीय परामर्शदाता मण्डल का संगठन इस प्रकार किया गया है-

  1. केन्द्रीय शिक्षा मन्त्री (चेयरमैन)।
  2. भारत सरकार का शिक्षा परामर्शदाता।
  3. भारत सरकार द्वारा मनोनीत 15 सदस्य, जिसमें 4 स्त्रियाँ होती हैं।
  4. संसद के पाँच सदस्य, जिसमें 2 राज्यसभा तथा 3 लोकसभा के सदस्य होते हैं।
  5. भारत सरकार के विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों में अन्तर्विश्वविद्यालय मण्डल द्वारा चुने हुए 2 सदस्य।
  6. अखिल भारतीय प्राविधिक शिक्षा परिषद् के दो सदस्य, जिनको स्वयं परिषद् मनोनीत करती है।
  7. प्रत्येक राज्य सरकार का एक प्रतिनिधि, जो शिक्षा मन्त्री होता है।
  8. मण्डल का सचिव, जिनको केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। सामान्यता केन्द्रीय शिक्षा मन्त्रालय का शिक्षा सचिव ही इसके सचिव का कार्य करता है।

इस परामर्शदाता मण्डल से एक अन्य महत्त्वपूर्ण संस्था सम्बन्धित है, जो कि शिक्षा के केन्द्रौय ब्यूरो के नाम से प्रसिद्ध है। यह ब्यूरो अपने कार्य को सचिवों द्वारा संचालित करता है। इनमें से एक सचिव बाइद उद्देश्यों से सम्बन्धित है और दूसरा आन्तरिक सूचनाओं से। यह भारत में शिक्षा की प्रगति के विषय में आधुनिकतम सूचनाओं को एकत्रित करता है तथा बहुत सा शैक्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करता है।

CABE के कार्य (Functions of CABE)

इस मण्डल के दो प्रमुख कार्य हैं-

  1. शिक्षा की प्रगति के सम्बन्ध में उपयोगी तथ्य एकत्र करना और इन तथ्यों का निरीक्षण करके अपने सुझावों को केन्द्रीय प्रशासन के पास भेजना।
  2. भारत सरकार और किसी भी प्रान्तीय सरकार द्वारा प्राप्त किसी भी शिक्षा से सम्बन्धित समस्या पर अपने विचार प्रकट करना।

इस मण्डल की एक वर्ष में एक बार बैठक आवश्यक होती है। अपनी बैठक में यह मण्डल देश की प्रमुख शैक्षिक समस्याओं पर विचार-विमर्श करता है तथा उनके सम्बन्ध में अपने सुझाव प्रस्तुत करती है। यह मण्डल अपनी चार स्थाई समितियों के द्वारा कार्य है। ये समितियाँ निम्न हैं-

  • (i) प्राथमिक तथा बेसिक शिक्षा समिति।
  • (ii) सामाजिक शिक्षा समिति।
  • (iii) माध्यमिक शिक्षा समिति।
  • (iv) उच्च शिक्षा समिति।

वर्तमान में इस मण्डल के निम्नलिखित कार्य हैं-

  1. शिक्षा के आय-व्यय पर विचार करना तथा सम्पूर्ण देश के लिए राष्ट्रीय शिक्षा का निर्धारण करना।
  2. शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर गठित समितियों से सम्पर्क स्थापित कर शिक्षण के कार्यक्रमों, योजनाओं एवं क्रियाओं को सफल रूप में कार्यान्वित करना।
  3. शिक्षा सम्बन्धी नवीन योजनाओं का निर्माण करना उनको कार्यान्वित करना तथा उनकी सफलता हेतु परामर्श देना।
  4. शैक्षिक प्रकरणों, विवादों एवं विषयों पर केन्द्रयी तथा राज्य सरकार को समय-समय प परामर्श देना।
  5. शिक्षा सूचना कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षिक सूचनाओं को एकत्रित करके प्रतिवेदन के रूप में प्रकाशित करना।
  6. शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षणिक विकास तथा प्रसार करने एवं शिक्षा सम्बन्धी परिवर्तनों में नेतृत्व देना।
  7. सम्पूर्ण देश की शिक्षा व्यवस्था एवं शिक्षा से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण हेतु विचार करना।
  8. केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई कठिनाइयों को दूर करने में दक्ष मण्डल के रूप में कार्य करना।

इस बोर्ड की साल में एक बार बैठक होनी चाहिए। अपनी बैठक में यह देश की प्रमुख शैक्षिक समस्याओं पर चर्चा करता है और उनके बारे में अपने सुझाव देता है। यह बोर्ड अपनी चार स्थायी समितियों-प्राथमिक और बुनियादी शिक्षा समिति, सामाजिक शिक्षा समिति, माध्यमिक शिक्षा समिति और उच्च शिक्षा समिति के माध्यम से काम करता है।

1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जिम्मेदारी केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड को सौंपी गई है। यह बोर्ड शैक्षिक विकास की समीक्षा करेगा। शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए आवश्यक परिवर्तन सुनिश्चित करना और कार्यान्वयन पर्यवेक्षण में निर्णायक भूमिका निभाना। बोर्ड उपरोक्त समितियों के माध्यम से और मानव संसाधन विकास के विभिन्न क्षेत्रों के बीच संपर्क और समन्वय के लिए तैयार की गई प्रक्रियाओं के माध्यम से काम करेगा। केंद्र और राज्यों के शिक्षा विभागों को मजबूत करने के लिए उनमें पेशेवर कौशल वाले लोगों को लाया जाएगा।

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