Role Play Method of Teaching in hindi

यह अभिनयात्मक विधि है जिसका सम्बन्ध ज्ञानात्मक तथा सामाजिक कौशल विकसित करने से है। इससे छात्रों की रुचि, अभिरुचि तथा अभिवृत्ति में परिवर्तन लाया जा

पात्र अभिनय विधि (Role Play Method)

यह अभिनयात्मक विधि है जिसका सम्बन्ध ज्ञानात्मक तथा सामाजिक कौशल विकसित करने से है। इससे छात्रों की रुचि, अभिरुचि तथा अभिवृत्ति में परिवर्तन लाया जा सकता है। इसमें अनुकरणीय शिक्षण को महत्त्व दिया जाता है। इस पात्र अभिनय या नाटकीय विधि में कक्षा को छोटे-छोटे समूहों में बाँट दिया जाता है और उनसे दूसरों के अनुभवों का अनुकरण कराया जाता है। इसमें क्रमशः छात्रों को शिक्षक और छात्र दोनों ही प्रकार के रोल खेलने पड़ते हैं।

Role Play Method of Teaching in hindi

इसके माध्यम से एक छात्र शिक्षक बन जाता है और शेष उस समूह के छात्र उस शिक्षक के वास्तविक छात्रों का अभिनय करते हैं और अपनी भावनाओं तथा अनुभवों को स्वाभाविक रूप से व्यक्त करते है। इसमें छात्रों को अभिनय के लिए कोई अभ्यास नहीं कराया जाता है और उन्हें बिना किसी अभ्यास के कोई भूमिका दे दी जाती है जिसका निर्वाह छात्रों को करना होता है।

पात्र अभिनय विधि की विशेषताएँ (Characteristics of Role Play Method)

  1. छोटी कक्षाओं में भी उपयोगी है।
  2. शिक्षक-व्यवहार की समीक्षा तथा उसमें सुधार करना सम्भव है।
  3. इससे सवेगों को रचना, शारीरिक अभिव्यक्ति तथा श्लाघात्मक विकास में सहायता मिलती है।
  4. छात्रा को अपने मन की भावनाओं और संवेगों को व्यक्त करने का मौका मिलता है।
  5. यह अनुभव की नकल होती है जिसे वास्तविक बनाया जाता है।
  6. यह इतिहास, साहित्य, नागरिकशास्त्र तथा विज्ञान, आदि विषयों में बहुत महत्त्वपूर्ण शिक्षण नीतियों में से है।
  7. इसके द्वारा वांछित उद्देश्य (ज्ञानात्मक तथा सामाजिक) प्राप्त किये जाते हैं।
  8. इसके द्वारा निम्न तथा मध्यम स्तर का ज्ञान, बोध तथा प्रयोग करने की क्षमता प्रभावित होती है।
  9. इसके प्रयोग के समय छात्रों को मजा आता है (उनका मनोरंजन भी होता है)।
  10. छात्रों की अभिवृत्तियों में परिवर्तन एवं विकास होता है।
  11. यह मानवीय सम्बन्धों से सम्बन्धित विधि है।
  12. छात्राध्यापक के जीवन से सम्बन्धित कौशल का विकास अनुभवों द्वारा किया जाता है।

पात्र-अभिनय विधि की सीमाएँ (Limitations of Role Play Method)

  1. यह विशिष्ट शिक्षण कौशलों का विकास करने में असमर्थ रहती है।
  2. छात्र कृत्रिम वातावरण में कार्य करते हैं जिसे वास्तविक रुप देना पूर्ण रूप से सम्भव नहीं है।
  3. शिक्षण संस्थाओं में छोटे बच्चों के साथ अधिक उपयोगी हैं।
  4. यह औपचारिक विधि है।

पात्र-अभिनय विधि के लिए सुझाव (Suggestions for Role Play Method)

  1. पात्र अभिनय के समय शिक्षक को पूरे समय कक्षा में रहना चाहिए।
  2. पात्र अभिनय के अन्त में छात्रों और शिक्षक, दोनों को मिलकर कार्य की समीक्षा करनी चाहिए और सभी पक्षों पर विस्तृत वार्तालाप किया जाना चाहिए।
  3. इस विधि में छात्रों को केवल परिस्थिति के विषय में विभिन्न सूचनाएँ दी जाती हैं और इसके बाद छात्रों को वार्तालाप करने तथा विषय को आगे बढ़ाने के लिए स्वतन्त्र छोड़ देना चाहिए।
  4. वास्तविक शिक्षण कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व इसके अभ्यास के लिए अवसर देने चाहिए।
  5. इस विधि के अन्तरंग सिद्धान्तों तथा विधि को भली-भाति समझ लेना चाहिए।

पात्र अभिनय विधि के सोपान (Steps of Role Play Method)

निम्नलिखित सोपानों का अनुसरण कर 'पात्र अभिनय' किया जाता है-

  1. कार्यक्रम की रुपरेखा बनाना।
  2. छात्रों को बताना कि उन्हें किस-किस पात्र की और कब कब भूमिका निभानो होगी।
  3. प्रकरण अथवा पाठ का चुनाव।
  4. शिक्षक के व्यवहार को निरीक्षण विधि का निर्धारण।
  5. शिक्षण का अभ्यास (वास्तविक पात्र अभिनय) करना।
  6. पात्र अभिनय की समीक्षा करना।
  7. भविष्य के लिए सुधार हेतु सुझावों पर वार्तालाप करना।

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