Assignment Method of Teaching in hindi

दत्त कार्य दैनिक पाठ योजना का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके द्वारा कक्षा की क्रियाऐं संगठित एवं निर्देशित होती हैं। यह शैक्षिक क्रियाओं को दिशा देने का

दत्त कार्य विधि (Assignment Method)

दत्त कार्य दैनिक पाठ योजना का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके द्वारा कक्षा की क्रियाऐं संगठित एवं निर्देशित होती हैं। यह शैक्षिक क्रियाओं को दिशा देने का मुख्य साधन होता है। यह कक्षा के कमरे में या उससे बाहर दूसरे दिन के कार्य की तैयारी के लिए भी आवश्यक है। मनोवैज्ञानिक रूप से दत्त कार्य सीखने की क्रियाओं के लिए अभिप्रेरणा प्रदान करता है। यदि सीखने की स्थिति उपयुक्त है तो विद्यार्थी का बहुत सा समय नष्ट होने से बच जाता है। दत्त कार्य, कार्य की ओर वांछित अभिवृतियों को स्थापित करता है और सीखने की क्रियाओं में विद्यार्थियों का पूर्ण मन के साथ सहयोग प्राप्त करता है।

Assignment Method of Teaching in hindi

शिक्षण प्रणाली में स्थायी अधिगम व्यवहारों का निर्माण करने में योग देने वाली 'दत्त कार्य विधि' महत्वपूर्ण है। इसका ध्येय छात्रों को अनुशीलन प्रदान करना है। लियोनार्ड डगलस के अनुसार दत्त कार्य छोटे, लम्बे, कठिन, सरल, सामान्य, भिन्न, आदि हो सकते हैं। इसका सम्बन्ध पाठ, इकाई आदि से विद्यालय में पूरे वर्ष रहता है।

शिक्षण में सैद्धान्तिक, प्रदर्शन तथा प्रायोगिक तीनों ही पहलू दत्त कार्य विधि द्वारा छात्रों को स्पष्ट किये जा सकते हैं। इसमें पाठ्य-वस्तु के छोटे-छोटे दत्त कार्य (Assignment) में विभाजित कर उन्हें छात्रों को निर्धारित समय में करने के लिये दिया जाता है। छात्र आवश्यकतानुसार पुस्तकालयों तथा प्रयोगशालाओं में कार्य करते हैं। शिक्षक समय-समय पर निरीक्षण करता रहता है। और उनकी कठिनाइयों का निराकरण भी करता जाता है। छात्र अपने द्वारा पूरे किये गये दत्त कार्य का पूर्ण आलेख रखता है।

दत्त कार्य विधि की विशेषताएँ (Features of the Assignment Method)

  1. व्यावहारिक कार्य पर अधिक बल दिया जाता है।
  2. इस विधि में विषय-वस्तु के सभी पहलुओं का समावेश रहता है।
  3. शिक्षक को पर्याप्त मार्गदर्शन करना पड़ता है।
  4. छात्रों को स्वयं कार्य करने की आदत पड़ती है।
  5. प्रत्येक छात्र अपनी सामर्थ्य के अनुकूल कार्य करता है।
  6. छात्र अपने उत्तरदायित्वों को पूरा करने की आदत विकसित करते हैं।

दत्त कार्य विधि का महत्व (Importance of Assignments)

  1. गृह कार्य विद्यार्थियों के अभिप्रेरक (Motivative) का कार्य करता है। इससे विद्यार्थी को अर्जित किये हुये ज्ञान को अधिक से अधिक प्रयोग करने की प्रेरणा मिलती है।
  2. गृह कार्य से समय की बचत भी होती है क्योंकि इससे कक्षा में पाठ को दोबारा पढ़ने की आवश्यकता नहीं रहती।
  3. गृह कार्य द्वारा विद्यार्थियों को स्वयं क्रिया करके (Self-Activity) अपने विचारों को व्यक्त करने के अवसर मिलते हैं।
  4. ज्ञान को स्थाई करने के लिये स्कूल के अतिरिक्त घर का वातावरण भी आवश्यक होता है, अन्यथा अविद्यार्थी सोखे हुये ज्ञान को याद करने में असमर्थ हो जायेंगे।
  5. उचित ढंग से नियोजित किये हुये गृहकार्य द्वारा निर्देशन में सहायता मिलती है।
  6. गृह-कार्य द्वारा विद्यार्थियों को प्रश्न के उत्तर स्वयं ही लिखने पड़ते हैं। वे पुस्तकालय से विभिन्न विषय की पुस्तकें घर पर पढ़ने के लिये लाते हैं। इससे उनमें स्वाध्याय (Self-study) की आदतो का विकास होता है।

दत्त कार्य विधि के प्रकार (Types of Assignment)

गृहकार्य अग्रलिखित अग्र प्रकार का हो सकता है–

(1) समस्या मूलक गृहकार्य (Problematic Assignment):- इस प्रकार के गृह कार्य में विद्यार्थियों को उनकी पुस्तक या जीवन से सम्बन्धित किसी समस्या को हल करने के लिये दिया जाता है।

(2) अभ्यास गृहकार्य (Practice Assignment):- इस प्रकार के गृह कार्य में विद्यार्थियों को उनके पूर्वज्ञान का अभ्यास कराया जाता है।

(3) इकाई गृहकार्य (Unit Assignment):– यह ऐसा गृहकार्य होता है जिसमें विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली क्रियाओं में लगा दिया जाता है।

(4) सूचना एकत्रित करने वाले (Informatic):— इन गृह कार्यों में विद्यार्थी विभिन्न प्रकार की सूचनायें एकत्रित करता है।

(5) स्मृति सम्बन्धी (Memorization Type):– इस कार्य में विद्यार्थी पढ़े हुये पाठ को मौखिक रूप से रटने का प्रयास करते हैं।

(6) अध्ययन सम्बन्धी (Study Type):– यह गृहकार्य अत्यन्त सरल होता है। इसमें विद्यार्थियों को किसी विषय पर टिप्पणी तैयार करने के लिये कहा जाता है।

दत्त कार्य विधि के नियोजन में सावधानियाँ (Precautions in the Planning of Assignments)

  1. गृह कार्य का चयन विद्यार्थियों के पूर्वज्ञान को दृष्टि में रखते हुये करना चाहिये।
  2. गृह कार्य प्रेरणादायक होना चाहिये।
  3. गृहकार्य के नियोजन में विद्यार्थियों की रुचियों तथा सम्मानों का ध्यान रखना चाहिये। 4. गृह कार्य निश्चित और स्पष्ट होना चाहिये।
  4. गृह कार्य 'सरल से जटिल की ओर' के शिक्षण सूत्र पर आधारित हो।
  5. गृह-कार्य में परस्पर सामंजस्य होना चाहिये।
  6. गृह कार्य में विविधता (Variety) होनी चाहिये।
  7. गृहकार्य उपयोगी होना चाहिये।

दत्त कार्य विधि के दोष (Demerits of the Assignment Method)

  1. अच्छी प्रयोगशाला एवं अच्छे पुस्तकालय के अभाव में यह विधि उपयोगी नहीं है।
  2. शिक्षक पर छात्रों के कार्य निर्देशन का उत्तरदायित्व बढ़ जाता है।
  3. अधिक समय लगता है।

दत्त कार्य विधि के लिए सुझाव (Suggestions for the Assignment Method)

दत्त कार्य देते समय ध्यान रखिए कि

  1. छात्र कार्य करने के लिए प्रेरित हो।
  2. प्रत्येक दिन दत्त कार्य न दिया जाए।
  3. उचित मार्गदर्शन देने की व्यवस्था हो।
  4. दत्त कार्य का सम्बन्ध पाठ से अवश्य हो
  5. छात्रों की योग्यता एवं आयु के अनुसार
  6. दत्त कार्य स्पष्ट एवं सोद्देश्य हो ।
  7. सार्थक हो।

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