Brain Storming Method of teaching in hindi

मस्तिष्क उद्वेलन या मस्तिष्क विलव (Brain Storming) चिन्तन या सृजनात्मकता को विकसित करने की एक महत्वपूर्ण विधि है। मस्तिष्क उद्वेलन की मुख्य धारणा यह

मस्तिष्क उद्वेलन विधि (Brain Storming Method)

मस्तिष्क उद्वेलन या मस्तिष्क विप्लव (Brain Storming) चिन्तन या सृजनात्मकता को विकसित करने की एक महत्वपूर्ण विधि है। मस्तिष्क उद्वेलन की मुख्य धारणा यह है कि एक व्यक्ति की तुलना में व्यक्तियों का समूह अधिक विचार प्रस्तुत कर सकता है। इस विधि के अन्तर्गत ऐसे साधनों का प्रयोग किया जाता है जो विद्यार्थियों में चिन्तन का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हलचल पैदा कर देते हैं एवं उसे अभिप्रेरित कर देते हैं।

Brain Storming Method of teaching in hindi

यह विधि समस्या केन्द्रित (Problem-oriented) होती है। इसके अन्तर्गत विद्यार्थियों के सामने एक जटिल समस्या प्रस्तुत की जाती है तथा इस समस्या के सम्बन्ध में विद्यार्थियों का एक समूह बैठकर विचार-विमर्श करता है, चिन्तन करता है, विश्लेषण करता है और अन्त में संश्लेषण (Synthesis) के माध्यम से उस समस्या का हल निकालने का प्रयत्न करता है। इसके बाद विद्यार्थी खुद ही अध्यापक के मार्ग-निर्देशन में उसका मूल्यांकन (Evaluation) करते हैं।

विद्यार्थियों के मस्तिष्क में इस जटिल समस्या को हल करने से सम्बन्धित विचार आते हैं, अध्यापक लगातार ब्लैक-बोर्ड पर उन विचारों को लिखता रहता है और अन्त में एक ऐसे बिन्दु पर पहुँच जाता है, जिसे हम उस समस्या का उपयुक्त हल या समाधान कह सकते हैं। अत: कहा जा सकता है कि मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव विधि की सहायता से विद्यार्थियों में मुख्य रूप से चिन्तन की क्षमता को विकसित करने का प्रयास किया जाता है।

मस्तिष्क उद्वेलन या मस्तिष्क विप्लव विधि को एक सरल से उदाहरण के द्वारा निम्न प्रकार से समझा जा सकता है- विद्यालय में एक नवनिर्मित प्रयोगशाला में फर्नीचर से सम्बन्धित व्यवस्था करना। अध्यापक अपनी कक्षा में इस समस्या को विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत करता है। अब विद्यार्थियों के मस्तिष्क में चिन्तन के द्वारा इस समस्या के सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार के विचार आएंगे। जैसे- विद्यालय में पड़े पुराने फर्नीचर को ठीक करवाकर उपयोग में लाना चाहिए, लकड़ी खरीद कर फर्नीचर बनवाना चाहिए, विद्यार्थियों से फर्नीचर बनवाने हेतु पैसा एकत्रित कर लेना चाहिए, विद्यालय में सरप्लस पड़े फर्नीचर को प्रयोग किया जाना चाहिए, बाज़ार से दानस्वरूप पैसा या राशि एकत्रित कर लेनी चाहिए आदि।

विद्यार्थियों के मस्तिष्क में इस समस्या के सम्बन्ध में आए महत्वपूर्ण या उल्लेखनीय विचारों को अध्यापक ब्लैक बोर्ड पर लिखता चला जाएगा। अंत में विद्यार्थियों द्वारा लिए गए इन समस्त विचारों का विश्लेषण करने के उपरान्त विद्यार्थियों की सहमति से अध्यापक किसी परिणाम पर पहुंचेगा। इस प्रकार से इस समस्या के सम्बन्ध में एक उचित हल या समाधान सबके सामने आ जाएगा। समस्या के सम्बन्ध में निकाला गया यह हल या समाधान विद्यार्थियों के स्वयं के चिन्तन का परिणाम होगा। अतः इस प्रकार की अन्य क्रियाओं को निरंतर करने पर विद्यार्थियों के मस्तिष्क में चिन्तन की क्षमता विकसित होती चली जाएगी। यही मस्तिष्क उद्वेलन विधि का मुख्य उद्देश्य होता है।

मस्तिष्क उद्वेलन विधि की विशेषताएँ (Charateristics of Brain Storming Method)

  1. मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव के द्वारा शिक्षार्थियों में सामूहिकता की भावना की उत्पत्ति होती है।
  2. मस्तिष्क उद्वेलन विधि छात्रों की सृजनात्मक क्षमताओं को बढ़ाती है।
  3. यह जानात्मक तथा भावात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती हैं।
  4. यह विधि मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर आधारित है।
  5. इस विधि के द्वारा सामूहिक चिन्तन तथा विचार विमर्श द्वारा अच्छे विचार सामने आते हैं।
  6. यह विद्यार्थियों को स्वतंत्रतापूर्वक सोचकर निष्कर्ष को प्राप्त करना सिखाती है जो लोकतन्त्रात्मक समाज के लिए अत्यन्त लाभदायी है।
  7. यह विद्यार्थियों को चिन्तन तथा समस्या समाधान के क्षेत्र में उत्साहित करती है।

मस्तिष्क उद्वेलन विधि की सीमाएँ, कमियाँ या दोष (Limits of Brain Storming Method)

  1. मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव विधि में शर्मीले शिक्षार्थी सक्रिय रूप से भाग नहीं ले पाते हैं।
  2. मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव के सफल संचालन के लिए योग्य शिक्षक का होना आवश्यक है। सभी शिक्षक इसके संचालन के योग्य नहीं होते हैं।
  3. शिक्षक द्वारा पक्षपातपूर्ण प्रोत्साहन की सम्भावनाएँ रहती हैं, जिससे शिक्षार्थियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बनी रहती है।
  4. मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव केवल उच्च स्तर की कक्षाओं में उपयोगी है।
  5. मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव कुशाग्र बुद्धि वाले शिक्षार्थियों द्वारा मंद-बुद्धि वाले शिक्षार्थियों को विचार प्रस्तुत करने के अवसर प्रदान नहीं किए जाने की सम्भावना रहती है।

मस्तिष्क उद्वेलन विधि के उचित प्रयोग हेतु सुझाव (Tips for Brain Storming Method)

  1. शर्माले शिक्षार्थियों को अध्यापक के द्वारा उचित प्रोत्साहन दिया जाए, जिससे कि वे भी समस्या के समाधान हेतु अपने विचार प्रस्तुत कर सकें।
  2. मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव के प्रयोग से पूर्व शिक्षक का उद्देश्य सभी शिक्षार्थियों में चिंतन की आदत का विकास करना होना चाहिए।
  3. मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव का प्रयोग केवल योग्य शिक्षकों द्वारा ही किया जाना चाहिए।
  4. इस विधि के अन्तर्गत शिक्षक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी शिक्षार्थियों को विचार प्रस्तुत करने के समान अवसर प्राप्त हों।
  5. शिक्षक को निष्पक्ष रुप से कार्य करना चाहिए।

इस अन्त:क्रिया के परिणामस्वरुप बालक के मस्तिष्क में हलचल उद्वेलन की स्थिति बन जाती है व निष्कर्ष स्वरुप वह कुछ मूल्यवान विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में आ जाता है। कुछ विद्वानों का विचार है कि अकेले शिक्षक की अपेक्षा विद्यार्थी समूह कभी-कभी अधिक मूल्यवान विचार दे जाते हैं। अतः इस आव्यूह का प्रयोग कभी-कभी करना उपयोगी रहता है। इस शिक्षण आव्यूह की विशिष्टताएँ निम्न प्रकार हैं-

मस्तिष्क उद्वेलन का केन्द्रीय उद्देश्य:- मस्तिष्क विप्लव आव्यूह का केन्द्रीय उद्देश्य ज्ञानात्मक एवं भावात्मक उद्देश्य को प्राप्त करना है।

संरचना:- इस शिक्षण विधि के अन्तर्गत शिक्षक विद्यार्थियों के सम्मुख एक समस्या अथवा विचार प्रस्तुत करता है तथा विद्यार्थियों से उस पर उनके किन्हीं भी विचार को प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यदि इसमें कुछ असामान्य विचार भी आते हैं तो भी उन पर समूह तर्क एवं वाद-विवाद करने के लिए स्वतंत्र रहता है तथा उनकी उपयोगिता एवं व्यावहारिकता का मूल्यांकन करता है। इस विधि में समूह ने परस्पर उच्च स्तर की अन्तः क्रिया को प्रोत्साहित किया जाता है, परन्तु मर्यादा के अन्तर्गत।

मस्तिष्क उद्वेलन का अनुप्रयोग:- इस शिक्षण विधि का प्रयोग सभी विषयों में सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक समस्याओं के लिए किया जा सकता है। विद्यार्थियों में स्वतंत्र सोच के विकास के लिए इस विधि की उपयोगिता अधिक है। यह एक रचनात्मक स्तर की शिक्षण विधि है, जो कई अच्छे स्तर के विचार उपलब्ध कराता है।

मस्तिष्क उद्वेलन विधि के प्रयोग हेतु सोपान (Steps to Use the Brain Storming Method)

ऑसबोर्न ने इस शिक्षण विधि के प्रयोग हेतु निम्न सोपान दिए है-

  1. समस्या के संभावित समाधानों को स्वतंत्र विचारानुकूल निश्चित करना।
  2. उन साक्षियों एवं आँकड़ों के बारे में विचार एवं चिन्तन करना, जो समस्या को सुलझाने में सहायक हो सकते हैं।
  3. समस्या एवं उसके समस्त पक्षों के बारे में विचार कर योजना बनाना।
  4. इन विभिन्न समाधानों को समाधान के रूप में जाँचना तथा व्यावहारिक समाधानों का चयन करना।
  5. इन समाधानों में से अन्तिम व्यावहारिक समाधान का चयन करना।
  6. इन साक्षियों एवं आकड़ों को विभिन्न स्रोतों के माध्यम से एकत्रित करना।
  7. वे उपसमस्याएँ जो प्रमुख समस्या के साथ उभर सकती हैं, को चयनित करना।

उपर्युक्त मस्तिष्क उद्वेलन या विप्लव से सम्बन्धित सोपान बहुत कुछ समस्या समाधान विधि की ओर इंगित करते हैं।

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